उत्तराखंड का लोकपर्व इगास… जिसे आप पहाड़ की दिवाली भी कह सकते हैं

November 8, 2019 | samvaad365

इगास वो त्योहार जिसपर उत्तराखंड में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा है. चर्चा इसलिए कम है कि वो हमारा लोक त्योहार है, चर्चा इसलिए ज्यादा है कि इगास की छुट्टी आखिर क्यों नहीं हुई ?  सवाल भी वाजिब है जब उत्तराखंड में छठ पूजा की छुट्टी हो सकती है,  इगास तो फिर भी उत्तराखंड का लोक त्यौहार है. लेकिन इगास पर छुट्टी नहीं हुई बकायदा इसे बताने के लिए कि इगास पर कोई भी सार्वजनिक अवकाश नहीं है एक सरकारी आदेश भी निकाला गया. लेकिन इगास क्या है ये समझना भी जरूरी है जिर्फ जानकारी के लिए नहीं बल्कि एक लोकपर्व के रूप में भी.

क्या है इगास

इगास को लेकर उत्तराखंड में और यहां के पहाड़ी आंचल में कई तरह की बातें कही जाती हैं. लेकिन सीधी भाषा में समझना हो तो इगास को आप दीपावली की छोटी बहन समझ सकते हैं.

प्रभु राम से जुड़ी मान्यता

एक मान्यता के अनुसार जब भगवान राम अपना वनवास खत्म कर आयोध्या लौटे तो सभी ने दीपावली मनाई दीये जलाए. लेकिन पर्वतीय क्षेत्र क्योंकि काफी सुदूर होता है इसलिए यहां पर भगवान राम के आने की खबर 11 दिन बाद पता चली इसलिए दीपावली को उसी दिन मनाया गया. इस तर्क को आप वैज्ञानिक तर्क भी कह सकते हैं उस वक्त बिल्कुल यह स्थिति रही होगी कि सूचना पहुंचने तक 11 दिन का समय लगा और 11 दिन बाद इगास को दीपावली के रूप में मनाया गया.

माधो सिंह भंडारी की कहानी

यह कहानी काफी पुरानी है इसके अनुसार माधोसिंह जो कि मलेथा की कूल के लिए जाने जाते हैं वो एक सेनापति भी थे. काफी बहादुर सेनापति थे. तिब्बत के साथ जब युद्ध चल रहा था तो सेनापति माधोसिंह भंडारी थे. युद्ध जीता खत्म हुआ लेकिन मौसम ऐसा हुआ कि रास्ते बर्फ से ढक गए. जिसके बाद माधो सिंह भंडारी को वापस आने में काफी समय लगा. माधो सिंह भंडारी के विरोधियों ने भी उनके मर जाने की खबर फैला दी. लेकिन जब माधो सिंह भंडारी वापस पहुंचे तो लोगों ने इगास या बग्वाल मनाई जिसमें भैले जलाए गए.

क्या है भैला

भैला रोशनी करने के लिए बनाया जाता है. जिसे बलाबाजियों के साथ खेला जाता है. भैला को चीड़ की लकड़ी से बनाया जाता है लकड़ी के गठ्ठे बनाकर इसमें आग लगाई जाती है और इनको करतब कर घुमाया जाता है.

इसके अलावा भी कथाएं हैं जिनकों ईगास मनाने के पीछे का कारण बताया जाता है लेकिन अगर आपको कारण समझ न आए तो आप ये समझ लीजिए के ईगास एक लोक त्यौहार है जिसे आप पहाड़ की दीपावली समझ सकते हैं, जिसे परंपरागत तरीकों से मनाया जाता है.

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