स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब लाल किले से देश के प्रधानमंत्री का संबोधन होता है तो, देशवासियों की उम्मीद भी उस संबोधन से लगी रहती है। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का संबोधन देश की दिशा और दशा को प्रतिबिंबित करने वाला होता है। 7वीं बार बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी का लाल किले से भाषण कई मायनों में महत्वपूर्ण था। इसी भाषण में प्रधानमंत्री ने नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन का भी जिक्र किया। जिन-जिन बातों में स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं का जिक्र आता है, वो बातें आज के संदर्भ में अतिमहत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि आधुनिक विश्व स्वास्थ्य के ही क्षेत्र में संघर्ष कर रहा है, इसका सबसे बड़ा कारण भले ही हालिया संदर्भ में कोरोना वायरस हो लेकिन इसके अलावा भी स्वास्थ्य सुविधाओं का क्षेत्र किसी भी देश के लिए बड़ा ही संवेदनशील क्षेत्र है।
भारत में आम व्यक्ति को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का कोई खास अच्छा रिकाॅर्ड नहीं रहा है, लेकिन सरकार का नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन अगर कारगर होता है तो ये नए भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की नई क्रांति साबित हो सकता है।
साधारण भाषा में आप ये समझिए कि स्वास्थ्य सेवा भी उसी तरह से डिजिटल होगी जैसी व्यवस्था आपके आधार कार्ड और डीएल को लेकर होती है। हर नागरिक का स्वास्थ्य डाटा डिजिटल रूप में स्टोर रहेगा। एक साधारण डाॅक्टर की पर्ची से लेकर किसी भी तरह की रिपोर्ट सबकुछ आप फोन पर देख सकते हैं तथा इसे संबंधित अस्पताल और डाॅक्टर भी देख सकते हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर इलाज और दिक्कतों को दूर करने के लिए तकनीक का सदुपयोग किया जाएगा।
कारगर होगा हेल्थ आईडी नंबर
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत प्रत्येक नागरिक का एक हेल्थ आईडी नंबर होगा, इस नंबर से आपका प्रोफाइल खुलेगा जिसमें आपके स्वास्थ्य से संबंधित तमाम जानकारियां स्टोर रहेंगी। आप किस किस बीमारी से ग्रसित हैं। आपको पहले के डाॅक्टरों के द्वारा क्या-क्या सावधानियां बरतने को कहा गया था, किन दवाईयों को लिखा गया था, ये सब जानकारी आॅनलाइन दर्ज होगी। इस मिशन की जिम्मेदारी भी आयुष्मान भारत योजना को लागू करने वाली एजेंसी नेशनल हेल्थ अथाॅरिटी को दी गई है, जानकारी के अनुसार इसपर पिछले एक साल से काम चल रहा था। फिलहाल प्रयोग के तौर पर इसे केंद्रशासित प्रदेशों चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दमन दीव, पुड्डुचेरी अंडमान निकोबार लक्षद्वीप में आजमाया जाएगा। योजना के तहत डिजिडाॅक्टर में डाॅक्टरों को सूचिबद्ध किया जाएगा। जिससे आप अपनी सुविधाअनुसार बेहतर डाॅक्टर को ढूंढ सकते हैं।
डिजीडाॅक्टर, ई फार्मेसी, टेली मेडिसिन ये तकनीकें निश्चित रूप से भविष्य की तकनीकें हैं, जिनके अनुरूप सभी को भविष्य में ढलना होगा। मुख्यतः तकनीक हर काम को सुविधाजनक और आसान बनाने के लिए है तो स्वास्थ्य में भी इसका उपयोग बेहतर परिणाम दे सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय का भी यही कहना है कि यह योजना नागरिक को पर्ची के लिए चक्कर लगाने से, डाॅक्टरों की तलाश करने से, अपाॅयमेंट लेने से और तमाम झंझटों से मुक्त कर देगी। हालांकि इसको लागू करना भी भारत जैसे देश में एक बड़ी चुनौति होगी लेकिन अगर योजना कारगर तरीके से लागू होती है तो इसका परिणाम भी लाभप्रद होगा।
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संवाद365/दिग्विजय सिंह चौहान