भारत-पाक संबंध और ‘करतारपुर काॅरिडोर’ समझौता

October 22, 2019 | samvaad365
हाईलाइट्स
  • करतारपुर काॅरिडोर पर होने जा रहा है समझौता
  • करतारपुर साहिब के लिए भारत ने बनाया है काॅरिडोर
  • गुरूनानक देव के 550वें जन्मदिन से पहले काॅरिडोर को शुरू करने की कोशिश
  • पाकिस्तान 20 डाॅलर के सेवा शुल्क पर अड़ा
  • अनुच्छेद 370 हटाने के बाद तनाव के हालातों में पहला समझौता

भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों का व्याख्यान करने की आवश्यकता नहीं है। भारत-पाक संबंधों पर देश के कई बड़े मंचों पर भी समय समय पर चर्चा होती रहती है, भारत-पाक संबंधों में जटिलता आज से नहीं अपितु आजादी के बाद से ही रही है। समय-समय पर दोनों ही देशों के बीच तनाव की स्थिति कम और ज्यादा होती रहती है, ऐसा नहीं है कि इस तनाव को कम करने की कोशिश नहीं की गई हो  ये कोशिशें भी लगातार होती रही हैं।

जब भारत को आजादी मिलने वाली थी और पाकिस्तान भारत से अलग होने वाला था तब की परिस्थितियों को यदि देखा जाए तो पता चलता है कि जो भी फैसले लिए गए थे सभी समय की मांग के अनुसार ही लिए गए थे। दोनों देश आजाद हो गए लेकिन सैन्य नियंत्रण ब्रिटिशों ने अपने हाथों में रखा लाॅर्ड माउंटबेटन की इस सोच ने कई जानकारों की नजर में ऐसा काम किया जिसने तत्कालीन संभावित खतरे को जरूर कम किया, वह खतरा दोनों देशों के बीच सीमा तनाव का था और युद्ध की आशंका का था, अगर ऐसा न होता तो स्थितियां और भी विकट हो सकती थी।

कश्मीर के बदले हालातों से तनाव

हाल ही में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर राज्य के पुर्नगठन कर लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने वाले भारत सरकार के फैसले को लेकर पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर भी आलोचना कर रहा था, काफी कोशिश पाकिस्तान ने ये भी की, कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अन्य देशों के जरिए भारत पर दबाव बनाया जाए, लेकिन पाकिस्तान की कोई भी मंशाह सफल नहीं हो पाई.

अब बड़ा सवाल यह है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम कैसे हो, एक दूसरे की आलोचना करना या फिर अंतरराष्ट्रीय मंच से शीत युद्ध जैसी परिस्थितियां बनाना किसी निष्कर्ष की ओर नहीं ले जाता। सीमा पर आए दिन तनाव और सीजफायर उल्लंघन की खबरें आप अक्सर ही सुन रहे होंगे। ऐसा भी नहीं है कि दोनों देशों ने एक दूसरे पर सिर्फ सिर्फ दबाव बनाने की कोशिश ही की हो या फिर युद्ध के माहौल में ही धकेला हो।

भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति पहले से ही रही है कि हम किसी पर पहले हमला नहीं करेंगे, बतौर परमाणु संपन्न राष्ट्र होकर भी यह नीति अपनाने वाला संभवतः भारत एकमात्र देश है। भारत पाकिस्तान के बीच समय समय पर युद्धों के अलावा कई शांति की कोशिशें भी की गई, साधारणतया पहल भारत की ओर से ही की गई। कारगिल युद्ध से पहले लाहौर- दिल्ली बस सेवा, मुनाबाव खोरापार रेल लिंक, श्रीनगर-मुज्जफराबाद बस सेवा जैसे समझौते और कोशिशें की गई लेकिन नतीजा क्या हुआ यह सोचनीय है, अब एक ऐसा ही समझौता करतारपुर काॅरिडोर को लेकर भी समझा जा सकता है।

क्या है करतारपुर काॅरिडोर

भारत पाकिस्तान के साथ करतारपुर काॅरिडोर पर समझौता करने को तैयार है, खास बात यह है कि यह समझौता ऐसे वक्त में हो रहा है जब सीमा से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक भारत-पाक तनाव देखने को मिल.

पाकिस्तान में करतारपुर साहिब स्थित है, भारत ने अपने नागरिकों को यहां तक पहुंचने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का काॅरिडोर बनाया है, भारत चाहता है कि गुरूनाकनक देव के 550वें जन्मदिन से पहले भारत इसकी सेवाएं शुरू कर दे यानी कि 9 नवंबर तक, लेकिन दिक्कत ये है कि पाकिस्तान प्रति यात्री 20 डाॅलर शुल्क पर अड़ा हुआ है, भारत की तरफ से इस मामले पर पाकिस्तान से ये कहा गया है कि वह 20 डाॅलर की बात पर न अड़े क्योंकि तीर्थयात्रियों की यह मांग काफी समय से रही है कि बिना वीजा शुल्क के उन्हें करतारपुर जाने दिया जाए.

इस मामले पर बाकी की सभी बातों पर सहमति भी बन गई है। लेकिन पाकिस्तान का कहना है कि सेवा शुल्क के रूप में वो 20 डाॅलर लेगा आने वाले एक दो दिनों में यह बात स्पष्ट हो जाएगी की समझौता होना है या नहीं लेकिन फिर भी संभावनाएं यह कहती हैं कि दस्तखत हो ही जाएंगे, पाकिस्तान ने अभी करतारपुर के लिए प्रति दिन 5000 यात्रियों के आने की अनुमति दी है,  इसीलिए अगर पाकिस्तान 20 डाॅलर प्रति यात्री लेता है तो उसे रोजाना 1.56 करोड़ का फायदा होगा जो कि भारतीय मुद्रा में करीब 71 लाख बैठता है।

इन सब में खास बात यह है कि वर्तमान परिस्थितियों में यह भारत पाकिस्तान के बीच इस तरह का पहला समझौता होगा जो होने जाएगा, इससे पहले ज्ञात हो कि पाकिस्तान ने भारत के साथ तनाव की स्थिति को देखते हुए, और जम्मू कश्मीर के घटनाक्रम को देखते हुए समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को भी रद्द कर दिया था तो उससे पहले भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी कि ‘एमएफएन’ का दर्जा भी छीना था जिसका असर भी पाकिस्तान में कुछ हद तक देखने को मिला था. अब करतारपुर काॅरिडोर में पाकिस्तान क्या स्टैंड लेगा और ये समझौता वर्तमान तनाव को कम करेगा या नहीं ये भविष्य की परिस्थितियों पर भी काफी हद तक निर्भर करता है।

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