हौसलों ने भरी उड़ान तो छोटा पड़ गया आसमान, उत्तराखंड की सविता कंसवाल ने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर बनाया रास्ता
उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी की भटवादी ब्लॉक के लौंधरु गांव की सविता कंसवाल ने दुनिया का सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट ( 8,848.86 मीटर ) फतह कर जिले के साथ पर अपने प्रदेश और देश का मान बढ़ाया है. यह खबर सुनने के बाद क्षेत्र में खुशी की लहर है. नेपाल की एक्सपीडिशन कंपनी पीक एंड प्रमोशन के ओनर बाबू सेरपा के साथ टीम गई है. उन्होंने अपने सोशलमीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि 42 मई 2022 की सुबह सविता कंसवाल सहित अन्य तीन लोगों ने माउंट एवरेस्ट फतह किया है इन सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.
सविता कंसवाल सीमांत जिले उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक के सुदूर लौंधरु गांव की रहने वाली हैं. सविता एक गरीब किसान परिवार से हैं. सविता की उम्र अभी केवल 25 वर्ष है लेकिन इतनी छोटी उम्र में सविता ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की है.
एडवेंचर के लिए सविता का प्रेम
उत्तराखंड के मनेरी में अपने घर से 4 किलोमीटर दूर स्कूल पैदल जाती थी सविता, वयस्क होने के बाद सविता का यह शौक जुनून में बदल गया.
चुनौतियों के पहाड़ पर विजय
सविता एक साधारण किसान पृष्ठभूमि से आती है उनके लिए पैसे की कमी एक बड़ा मुद्दा था. सविता और उनकी बहन ने एक छोटा रिटेल कोर्स किया था और 2014 से 2016 तक कैफे कॉफी डे और रिलायंस में काम किया था.
“वह पार्ट-टाइम काम कर रही थी और पर्वतारोहण में भी उसकी रुचि थी. लेकिन हमारा परिवार उन कोर्सेज का खर्च नहीं उठा सकता था. इसलिए वह छह महीने काम करती, कोर्स का एक हिस्सा पूरा करती, फिर से काम करती और फिर वापस कोर्स करने के लिए चली जाती.”
मनोरमा कंसवाल, सविता की बड़ी बहन
सविता जल्द ही माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए अपनी ट्रेनिंग शुरू करने जा रही है. इससे पहले उन्हें कई बार स्पोंसरशिप नहीं मिल पाई थी और लोग उन्हें कुछ नया काम ढूंढने के लिए कहते रहते थे.
चार बहनों में सबसे छोटी है सविता
सविता ने विषम परिस्थितियों में अपना जीवन जिया है, लेकिन आज वो बुलंदियों पर है. चार बहनों में सविता अपने माता पिता राधेश्याम कंसवाल और मां कमलेश्वरी देवी की सबसे छोटी बेटी हैं. सविता के माता पिता ने खेती बाड़ी से ही अपने परिवार का पालन पोषण किया है. सविता की पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई है. सविता को बचपन से ही एडवेंचर का शौक था. सविता ने 2043 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग का बेसिक कोर्स किया था. जिसके कुछ समय बाद सविता ने एडवांस, सर्च एंड रेस्क्यू के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स भी NIM से किया.
माउंट एवरेस्ट से पहले और कई पर्वत कर चुकी हैं सविता फतह
सविता माउंट एवरेस्ट से पहले त्रिशूल पर्वत (7420 मीटर), हनुमान टिब्बा (5930 मीटर), कोलाहाई (5400 मीटर), द्रौपदी का डांडा (5680 मीटर), तुलियान चोटी (5500 मीटर) के साथ सविता ने दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (8546 मीटर) को भी फतह किया है. अब सविताके खाते में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट ( 8,848.86 ) मीटर भी जुड़ गई है.
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के माउंटेनियरिंग इंस्ट्रेक्टर दीप शाही ने बताया कि हमको भी ये सूचना बाबू शेरपा के सोशल मीडिया से मिली है. एक या दो दिन में ग्रुप अपने बेस कैंप पहुंच जाएगा. जिसके बाद सविता से बात हो पायेगी. अभी सविता NIM में गेस्ट इंस्ट्रेक्टर के तौर पर काम भी कर रही है. एवरेस्ट सबमिट की खबर सुनकर NIM के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट, माउंटेनियरिंग इंस्ट्रेक्टर दीप शाही भी बहुत खुश हैं.
संवाद 365, डेस्क