काशीपुर विधानसभा सीट का चुनाव काफी दिलचस्प, पुत्रों के सहारे कांग्रेस-भाजपा क्या लगा पाएगी नैया पार या आप का होगा उद्धार

February 13, 2022 | samvaad365

काशीपुर विधानसभा सीट का चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है वजह भारतीय भारतीय जनता पार्टी के विधायक हरभजन सिंह चीमा का कद इतना प्रभावशाली था कि कांग्रेस के प्रत्याशी उसके सामने हमेशा बौने साबित होते रहे, लेकिन इस बार विधानसभा का चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता हरभजन सिंह चीमा की बजाए, चुनावी रण में उनके पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा हैं। जिनका पिता की पहचान के सिवा कोई और चुनावी ग्राउंड पर अस्तित्व नहीं और वैशाखी के सहारे चल रही काशीपुर में कांग्रेस पहले ही अपने गढ़ को खो चुकी है । इस बार कांग्रेस ने काशीपुर प्रत्याशी केसी सिंह बाबा के पुत्र को चुना है। इनका भी पिता की पहचान के सिवा कोई और चुनावी मैदान में अपनी पहचान नहीं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दीपक वाली ने भाजपा के गढ़ में वोटों की सेंधमारी तो कर ली लेकिन उनकी जीत अब अल्पसंख्यक वोटरों के हाथ में है ।

 

अपने लक्ष्य के सबसे करीब माने जाने वाले आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दीपक बाली के किए अगर अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होता तो इस बार के काशीपुर विधायक दीपक बाली बन सकते हैं ।  क्योंकि इस बार विधानसभा टिकटों को लेकर बीजेपी की आपसी नाराजगी बीजेपी को लेकर डूबने वाली है । अगर मुस्लिम वोटर अगर कांग्रेस के साथ वटता हैं तो उनके वोटों का ध्रुवीकरण हो जाएगा फिर से काशीपुर की विधायकी पिता के बाद पुत्र पर आ जाएगी और काशीपुर के सरताज त्रिलोक सिंह चीमा होंगे।

काशीपुर विधानसभा चुनाव की मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी में देखा जा रहा है । जीत के लक्ष्य के करीब भाजपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दिखाई दे रहे हैं ।  भाजपा – कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी कर आम आदमी पार्टी प्रत्याशी ने अपने आप को तीसरे विकल्प के रूप में खड़ा तो कर दिया।  लेकिन जीत का गणित अल्पसंख्यक वोटर के हाथ में है । अगर अल्पसंख्यक वोटर का ध्रुवीकरण नहीं होता तो आम आदमी पार्टी की जीत के चांस ज्यादा है और अगर अल्पसंख्यक वोटरों का ध्रुवीकरण होता है, तो विधायक चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा के विधायक बनने के आसार ज्यादा है।

संवाद365,अजहर मलिक

 

 

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