जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद उपजी स्थितियों के बाद मंगलवार को दो सुखद खबरें भी सामने आई हैं। पहली जेपी कॉलोनी में फूटे पानी के फव्वारे की रफ्तार धीमी पड़ी है तो दूसरी नए घरों में दरारें की बात सामने नहीं आई है। 2 जनवरी को जोशीमठ के सबसे नीचले हिस्से में मुख्य नगर से करीब नौ किमी दूर मारवाड़ी स्थित जेपी कॉलोनी में मटमैले पानी की एक जलधारा फूट पड़ी थी। जो तब से लगातार बह रही है।
जोशीमठ में हुए भू-धंसाव के लिए प्रारंभिक जांच में जमीन के नीचे जमा हुए पानी के रिसाव को ही कारण माना जा रहा है। हालांकि पानी का यह रिसाव अब भी शासन-प्रशासन और वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहले बना हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच) रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम ने इस पानी के नमूने भी लिए हैं, जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है।
इस बीच मंगलवार को पानी के डिस्चार्ज में कमी आई है। सचिव मुख्यमंत्री मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि रविवार को पानी का डिस्चार्ज 560 लीटर प्रति मिनट (एलएमपी) था, जो मंगलवार को घटकर 360 एलएमपी पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि पानी के डिस्चार्ज पर हर घंटे नजर रखी जा रही है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि मंगलवार को किसी भी नए घर में दरार आने की खबर नहीं मिली है। यह सुखद संकेत हैं।
जिस दबाव से पानी बह रहा है, वह बताता है कि जमा पानी का स्थान नदी तल से काफी अधिक ऊंचाई पर होना चाहिए। यह स्थान जोशीमठ या उससे भी ऊपर हो सकता है। पानी का मैलापन उस मलबे के द्रव्यमान के क्षरण का संकेत है, जिस पर जोशीमठ स्थित है। हालांकि बारिश होने पर बहते स्रोत का क्या रूख रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।
723 पहुंची दरार वाले भवनों की संख्या, 86 असुरक्षित
जोशीमठ में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 45 भवन और चिन्हित किए गए। इस तरह से अब तक कुल 723 भवन चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें से 86 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जल्द ही इन भवनों को ढहाने की कार्रवाई शुरू होगी।
संवाद 365, दिविज बहुगुणा
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