पलायन का दंश : 40 परिवारों से चहकते चमराडा गांव में आज बचे केवल 4 परिवार, कौन जिम्मेदार,कैसे मांगेगी वोट सरकार

December 2, 2021 | samvaad365

डबल इंजन की सरकार के दावे धरातल पर कितने सच साबित हो रहे है, इसका अंदाजा आप रुद्रप्रयाग जिले के चमराडा गाँव को देख कर लगा सकते है। पांच साल पहले चुनावी घोषणा पत्र मे गाँवो तक विकाश की गंगा बहाने वाली सरकार के कार्यकाल मे चमराडा गाँव मे चालीस परिवार के सापेक्ष मात्र चार परिवार रह गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सड़क और पैदल मार्ग। सड़क फाईलो मे कैद है और डेढ़ किमी खड़ी चडाई वाला पैदल मार्ग इतना खतरनाक है कि कई जगहो पर दुर्घटना का खतरा हर समय बना रहता है। जबकि शाम होते ही जंगली जानवरो की दहशत।  अगर आप कोई सामान घर ले जाते है कीमत से ज्यादा उसका भाड़ा नेपाली मजदूरों को देना पड़ता है। सरकारों ने कभी इस गांव के बारे में सोचा नहीं तो फिर यहाँ के ग्रामीणों ने पलायन को ही बेहतर विकल्प माना। किंतु अभी भी जो परिवार रह रहे हैं यहां वह नरकीय जिंदगी जी रहे हैं।

चमराडा गाँव में अधिकाश घर खंडर पडे हैं और कुछ पर ताले लटके हुए हैं। जब ग्रामीणो से बात की तो यह साबित हो गया की चुनावी जुमले मात्र वोट बैंक की राजनीति तक सीमित रह गये हैं। आज भी गांवो की ऐसी हालत सरकार पर सवाल उठती है। बड़ी बात यह है इस विधान सभा मे विधायक कांग्रेस पार्टी के मनोज रावत हैं लेकिन वह भी गाँव की इस समस्या को हल करने मे सफल नही हो पाए। ग्रामीणों का कहना है कि विधायक मनोज रावत को पत्र लिखा था। उन्होंने लोनिवि रुद्रप्रयाग को प्रस्ताव बनाने को कहा था लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।  भाजपा कांग्रेस ने बारी बारी से इस राज्य में राज जरूर किया है लेकिन दुरस्त पहाड़ों के हाल आज भी बेहाल हैं। अब देखना होगा 2022 के चुनाव में राजनेता किस मुंह से इन ग्रामीणों के पास वोट मांगने जाते हैं।

संवाद365,कुलदीप राणा 

 

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