पहला नवरात्र : नील पर्वत पर विराजमान सिद्धपीठ मां चंडी देवी के मंदिर की अद्भुत कहानी

October 7, 2021 | samvaad365

नवरात्र प्रारम्भ हो चुके हैं और नवरात्रों में देवी मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिलती है । देवी के कई मंदिर उत्तराखंड में विराजमान है जिन्में से प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां चंडी देवी का मंदिर भी एक है । जहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है । आइये बताते है आपको मां चंडी देवी मंदिर की कहानी

हरिद्वार के पौराणिक मंदिरों में शुमार है माँ चंडी का ये मंदिर , जहां मां नील पर्वत पर अपने रौद्र रूप यानि चंङी रूप में साक्षात विराजती है । महिषासुर राक्षस का वध कर माँ ने यहां खम्ब रूप में दर्शन दिए थे । कहा जाता है जब देव लोक में असुरों का अत्याचार बढने लगा तो देवताओं ने मां भगवती की स्तुति की तो मां चंङी देवी एक खंभे को फाड़ कर यहाँ स्वर्ग से सीधे प्रकट हुई। मान्यता है की नवरात्र के दौरान मां नौ दिन यहीं पर विराजती हैं। यही कारण है की नवरात्रो के दौरान इस मंदिर में देश दुनिया से श्रद्धालु भारी संख्या में यहाँ मन्नत मांगने आते हैं।

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हरिद्वार से मंदिर जाने के लिए हैं दो रास्ते 

हरिद्वार से गंगा नदी का एक किलोमीटर से लंबा पुल पार करके श्रद्धालु पहुंचते हैं मंदिर जाने के लिए बने हुए रास्ते पर। मंदिर जाने के लिए दो रास्ते हैं। पैदल करीब सवा दो किलोमीटर का रास्ता मंदिर तक जाने के लिए तय करना पङता हैं। इसके अलावा यदि यात्रा को रोंमांचक बनाना हो तो इसके लिए मंदिर तक पहुंचने के लिए यहाँ पर लगा हुआ हैं रोप वे।जिसमें बैठ कर मंदिर जाते हुए दूर दूर तक पहाङों और घाटियों के साथ ही हरिद्वार शहर के रोंमाचक नजारों का लुफ्त आपकी यात्रा के आनन्द को कई गुना बढ़ा देता हैं। इसके बाद मंदिर में पहुंच कर ऐसा अहसास होने लगता हैं कि कोई आलौलिक ताकत आपको अपनी ओर खींच रही हो। ट्रस्ट द्वारा यहां शुद्ध RO पानी की व्यवस्था की गयी है ,दिव्यांगों को मंदिर तक लाने ले जाने के लिए व्हीलचेयर और डोली की व्यवस्था भी की गयी है ,मंदिर में मां चंङी देवी की दो प्रतिमांए हैं ।मंदिर में ठीक सामने मां का मंगल रूप हैं जबकि बायें और कोने में एक खंबें में मां का रौद्र रूप हैं जो कि मां का असली रूप हैं।पोराणिक महत्त्व रखने वाले इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मानते हैं की यहाँ पर हर मनोकामना पूर्ण होती है।

संवाद365,रेनू उप्रेती

 

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