घनसाली- गरीब बच्चों और कई वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों का भविष्य बर्बाद करता सेंदुल महाविद्यालय प्रबंधन

December 8, 2020 | samvaad365

टिहरी: घनसाली विधानसभा का एकमात्र उच्च शिक्षण संस्थान बालगंगा महाविद्यालय, सेंदुल केमर  में एक बड़ी लापरवाही छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. बीए थर्ड ईयर का रिजल्ट अभी कुछ दिन पहले जारी हुआ है जिसमें सभी छात्र छात्राएं सभी विषयों में तो पास हैं लेकिन महाविद्यालय स्तर पर होने वाले आंतरिक परीक्षाओं में सभी छात्र छात्राओं को अनुपस्थित दिखाया गया है जिसमें सभी छात्र छात्राओं को फेल दिखाया गया है.

मामले को लेकर अब छात्र-छात्राओं ने कॉलेज प्रबंधन को घेर लिया है. सभी छात्रों ने कॉलेज में धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की. छात्र मामले को लेकर काफी आक्रोशित भी नजर आए.

आखिर क्या है मुख्य समस्या ?

दरअसल जिन विषयों में छात्र छात्राओं को अनुत्तीर्ण  दिखाया गया है उन विषयों के अध्यापकों को महाविद्यालय प्रबंधन समिति के द्वारा कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया है और हर बार वेतन संबंधी झूठे आश्वाशन दिया जाता है. जिसका असर अब ये देखने को मिला की  कई महीनों से वेतन विहीन शिक्षकों के द्वारा आंतरिक परीक्षाएं करवाने के बावजूद उसकी जानकारी विश्वविद्यालय को नहीं दी गई .

जबकि आरोप है की महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा बार-बार शिक्षकों के साथ छल किया जाता रहा. शिक्षकों से लगातार बिना वेतन के ही शैक्षणिक कार्य करवाया जाता रहा. अब विश्वविद्यालय के द्वारा सभी छात्रों को अनुत्तीर्ण दिखाया गया है जिस कारण इन सभी छात्र छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है. बच्चों का आधा अधूरा रिजल्ट ही उन्हें मिल पाया है.

पूर्व में भी कई बार इन शिक्षकों को वेतन न मिलने के कारण शिक्षकों के द्वारा कार्य बहिष्कार किया गया जाता रहा  उस समय भी महाविद्यालय प्रबंधक बालकृष्ण नौटियाल  के द्वारा लिखित में दिया गया था कि कुछ समय में सभी शिक्षकों का वेतन समय पर दे दिया जाएगा लेकिन ऐसा आजतक नहीं हो पाया केवल दिखावे के लिए थोड़ी सी धनराशि दे दी गयी जबकि शिक्षकों का लगभग 2 साल का वेतन नही मिल पाया है.

वहीं प्रबंधक बालकृष्ण नौटियाल ने स्कूल संचालन के लिए फीस बढ़ोतरी की बात रखी थी उनका कहना था कि इसी पैसे से शिक्षक और अन्य कर्मियों का वेतन दिया जाना था जिसके लिए छात्र संघटन पूर्व में  पुरजोर विरोध किया और बढ़ोतरी नहीं होने दी.

अब प्रबंधन अपनी आर्थिक तंगी को बताकर मामला को रफा दफा करना चाहता है.

आपको बता दें कि पूर्व में इस महाविद्यालय को राजकीयकरण करने की घोषणा सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत  द्वारा की जा चुकी है लेकिन भाजपा- कांग्रेस जैसी पार्टियों के राजनीतिक प्रपंचो में फंसे होने के कारण और  महाविद्यालय प्रबंधन समिति की उदासीनता और छात्र संगठन से फीस बढ़ोतरी पर सामंजस्य ना बैठ पाने की वजह से छात्र और शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय हो गया है.

(संवाद 365/विकेश)

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