भूटान में आयोजित 21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में उत्तराखंड के इन पत्रकार, कवि-लेखकों को मिला सम्मान

July 3, 2023 | samvaad365

मनुष्य इस नित्य स्वरूप ब्रह्माण्ड की उपज है। वह स्वयं में ब्रह्माण्ड ही है। जगत में व्याप्त समस्त शक्तियाँ,उदारताएँ, उसके हाथ में हैं। सोचने का विषय है वे कौन से कारण हैं कौन-सी राजनीति है,कौन-सी विचारधारा है,कौन-सा परिवेश,जिसने मनुष्य को मनुष्य से दूर कर दिया है। अंहिंस परिवार द्वारा आयोजित यह अंतराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन मनुष्य को मनुष्य से परिचित कराने की व्यायाम शाला है,जिसमें सभी अपनी इच्छा से सुविधा में प्रेम से सद्भाव से और उदारता से भाग लेते हैं। परस्पर सहयोग और प्यार ही एक मात्र नियम है। 21 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन,सिलीगुड़ी-भूटान की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध रचनाकार और उत्तराखंड सरकार में उच्च शिक्षा विभाग की पूर्व निदेशक डॉ.सविता मोहन ने उक्त व्यक्त किए।

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डॉ.सविता मोहन ने आगे कहा कि सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित सम्मेलन जहाँ गठजोड़ से सरकारीधन के अपव्यय का कारण होते हैं,वहीं हमारा यह सम्मेलन परस्पर हृदय कोहृदय की बात बतानेका सम्मेलन है। हम मिलते नहीं-जुड़ते हैं,जीवन में कभी नहीं अलग होने के लिए और यही अंहिंस परिवार का वास्तविक परिचय है। यह किसी गौरवशाली परंपरा से कतई कम नहीं जो अंहिंस बिना सरकारी धन या अनुदान के विगत 21 वर्षों से देश से बाहर हिंदी के उत्थान के लिए सक्रिय है।

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आपको बता दें कि 21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन भूटान में किया गया था। जिसमें भारत से लगभग 103 हिंदी लेखकों ने प्रतिभाग किया। भूटान सम्मेलन में सम्मिलित होने देश भर से पहुँचे रचनाकारों और हिंदी सेवियों के सम्मान में 4 जून 2023 की सुहानी शाम भूटान-भारत सीमा पर सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) के चेकपोस्ट स्थित होटल के सभागार में ‘स्नेह समारोह’ आयोजित किया गया। सिलीगुड़ी की सक्रिय साहित्यिक संस्थाओं- हिंदी पत्रिका ‘आपका तिस्ता हिमालय’,अकादमिक प्रतिष्ठान ‘उत्तर बंग हिन्दी ग्रंथागार’ एवं ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘द सन एक्सप्रेस’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्नेह समारोह में 103से अधिक रचनाकारों,संपादकों व हिंदी-शिक्षकों को प्रतीक चिन्ह,उत्तरीय,श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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उत्तराखंड मूल के लेखक और पत्रकार भी हुए सम्मानित

21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन भूटान में बांग्लादेश और भारत के प्रमुख 13 राज्य के 103 रचनाकारों की उल्लेखनीय भागीदारी रही जिनमें उतराखंड से डॉ.सविता मोहन,डॉ.हरिसुमन बिष्ट,कमला बिष्ट,डॉ.रेखा पाण्डेय,डॉ.पुष्पा जोशी,डॉ.रेणु शुक्ला,नीरज नैथानी,माधुरी नैथानी,जगमोहन ‘आज़ाद’,पूरन सिंह और उमा बिष्ट आदि प्रमुख रहे।

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अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन भूटान में उपन्यासकार डॉ.हरिसुमन बिष्ट को (पद्मभूषण झाबरमल्ल शर्मा स्मृति सम्मान) और युवा कवि-पत्रकार जगमोहन ‘आज़ाद’ श्रीकांत वर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि इस पूर्व दक्षिणपूर्व एशिया के खूबसूरत देश वियतनाम (हनोई,हो ची मीन्ह) में आयोजित 20वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में उत्तराखंड मूल के कवि-पत्रकार जगमोहन ‘आज़ाद’ को सलेकचंद जैन एवं हो ची मीन्ह स्मृति सम्मान-2022 से सम्मानित किया गया था।

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भूटान में आयोजित 21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में जगमोहन ‘आज़ाद’ को समादृत कवि-कथाकार-अनुवादक,संपादक और साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित श्रीकांत वर्मा की स्मृति में दिया जाने वाला श्रीकांत वर्मा स्मृति सम्मान प्रदान किया गया।

 

भूटान के पारो शहर में आयोजित 21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन के पंचम सत्र मे संस्कृतिकर्मियों,सहभागियों के सम्मान समारोह में सम्मानित होने के बाद जगमोहन आज़ाद ने अध्यक्ष मंडल टी.एस.सोवानी,अलेखचंद्र पढ़िहारी,डॉ.सविता मोहन,डॉ.हरिसुमन बिष्ट,डॉ.रामकृष्ण राजपूत,सुरेश कुमार शुक्ला,डॉ.नित्यानंद सामंतराय,ललित गनवीर और अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिवार भारत का आभार प्रकट करते हुए कहा कि अंहिंस परिवार के आशीष से मुझे अंतरराष्ट्रीय मंच पर दूसरी बार सम्मानित किया जा रहा है। इसके लिए मैं अंहिंस परिवार का आभारी हूं। साथ ही मैं श्रीकांत वर्मा की स्मृति को नमन् करते हुए उनकी स्मृति में मुझे प्रदान किए इस सम्मान को उत्तराखंड की माटी से जुड़ी हुई नारी शक्ति और अपनी पत्नी सुनीता को समर्पित करता हूं। जो मेरी प्रेरणा भी है।

बता दें कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की पट्टी कफोलस्यूं के ग्राम नौली में जन्में कवि-पत्रकार जगमोहन ‘आज़ाद’ पिछले 25 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े हैं और कई उपलब्धियां प्राप्त कर चुके हैं। उनके अभी तक तीन कविता संग्रह,एक बाल कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुका है। जगमोहन ने गढ़वाली कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल पर पुस्तक ‘प्रकृति के के कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल’का संपादन किया हैं तो, वो उत्तराखंड के लोक कलाकारों के जीवन परिवेश पर शोध करने वाले वह पहले शोधकर्ता है। इस शोध पर उनका शोध कार्य अभी हाल ही में ‘लोक की बात’ नाम से प्रकाशित हुआ हैं। इसी के साथ जगमोहन उत्तराखंडी सिनेमा और उत्तराखंड की लोक विरासत पर भी शोध कर रहे हैं। वह साहित्य कला एवं फिल्म से जुड़े लगभग पांच सौ लोगों के साक्षात्कार कर चुके हैं।

21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन भूटान मे सम्मानित होने पर जगमोहन ‘आज़ाद’ को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरीश रावत,यूकेडी नेता मोहन काला,दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती सहित उत्तराखंड के साहित्याकारों और पत्रकारों ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

ज़ोंगखा की ज़मीन पर हिंदी की 31 किताबों का लोकार्पण

21 वें अंहिंस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिंदी की 31 कृतियों और पत्रिकाओं के नये अंक का विमोचन हुआ, इसमें शामिल हैं,सद्धर्म की पाठशाला और The Ultimate Liberation (आनंद प्रकाश गुप्ता), हिंदीतर प्रदेशों एवं विदेशों में हिंदी (जवाहर गंगवार), मिस्र की यात्रा,राजपूत-यौधेय लौधेय तथा यौधेय और प्रतिहार राजपूत (डॉ.रामकृष्ण राजपूत),कालजयी कम्पिल(डॉ.रत्ना सिंह),प्रकृति का उपहार-राष्ट्राकृति म्यांमार(विद्या प्रकाश कुरील), सीपी में समन्दर,छलाँग लगाती स्त्रिया और पंजाबी अनुवाद (डॉ.वंदना गुप्ता),ऐसे न बुलाओ मुझे,चलो आज कुछ बात कर लें औऱ कुछ रहने भी दो अनकही (ओडिया से हिंदी अनुदित कविता संग्रह– राधू मिश्र),वीमेन आईडी(राजश्री झा),पल-पल के जिनगानी,सुनता के राग तथा छत्तीसगढ़ के प्रयोगधर्मी और अन्वेषी साहित्यकार(छत्तीसगढ़ी– चेतन भारती),काव्य कलिका(वीणापाणि मिश्र),जय जगन्नाथ(नम्रता चड्ढ़ा),आम्ह मा र कहाणी पेड़ी(ओडिया–सौदामिनी सामंतराय),प्रकृति (सुधा पटनायक),स्वप्न राज्य में नन्हें विज्ञानी(बसीरन बीबी),अमर प्रेम(रीता मिश्र),प्रशांत की लोककथाएँ और न्यूजीलैंड की हिंदी यात्रा(रोहित कुमार हैप्पी–न्यूजीलैंड) तथा राजनीति का धरम-करम:धरम-करम की राजनीति (डॉ.जयप्रकाश मानस)।

जिन हिंदी पत्र-पत्रिकाओ के नये अंक का विमोचन किया गया है,उनमें समवेत सृजन(अरुंधती भोई),रचना उत्सव(रतिभान त्रिपाठी),तथागत संदेश(डॉ.रमेश सुखदेवे), आपका तिस्ता हिमालय (डॉ.राजेन्द्र प्रसाद सिंह) आदि प्रमुख हैं ।

 

रचनात्मक योगदान के लिए 14 रचनाकारों का अंलकरण

21 वें वार्षिक अलंकरण समारोह में डॉ.रेनू शुक्ला और डॉ.रत्ना सिंह (सिंधु रथ स्मृति सम्मान,ऱीता मिश्र और मंजूला त्रिपाठी,सलेकचंद जैन स्मृति सम्मान, जवाहर गंगवार और चेतन भारती,दाऊ कल्याण सिंह स्मृति सम्मान,डॉ.मनोहर लाल श्रीमाली औऱ बसीरन बीबी,डॉ.सच्चिदानंद त्रिपाठी स्मृति सम्मान,डॉ.अलेख चंद्र पढ़िहारी,आईएएस और राधू मिश्र,डॉ.श्यामलाल निर्मोही स्मृति सम्मान, विद्याप्रकाश कुरील,कर्नल विप्लव त्रिपाठी स्मृति सम्मान,युवा तबला वादक हीरालाल साहू,डॉ.ब्रजवल्लभ मिश्र स्मृति सम्मान तथा अरुंधती भोई को (सागर बीच रिसोर्ट कोवलम् यात्रा सम्मान) से पुरस्कृत किया गया । विशेष तौर पर उत्कृष्ट लेखनहेतु 11,111 रूपये का दाऊ कल्याण सिंह स्मृति सम्मान से डॉ. सविता मोहन को नवाज़ा गया।

इसके अलावा ख्यात पुरातत्वविद डॉ.रामकृष्ण राजपूत (पद्मसंभव गुरु रिन्पोचे स्मृति सम्मान),उपन्यासकार डॉ.हरिसुमन बिष्ट को (पद्मभूषण झाबरमल्ल शर्मा स्मृति सम्मान), डॉ.मंगला रानी,रतिभान त्रिपाठी,किरण बाला जीनगर और उर्मिला सिंह को (ट्रू मीडिया सम्मान) को सम्मानित किया गया।

 

न्यूजीलैंड और आकलैंड की सस्थाओं द्वारा विशेष सम्मान

21 वें सम्मेलन में जाने-माने खेल पत्रकार और हिंदी कमेंटेटेर जसवंत कुमार क्लाडियस नई दुनिया के पूर्व संपादक और लेखक रवि भोई को पत्रिका के संपादक द्वय क्रमशःरोहित कुमार हैप्पी तथा प्रीता व्यास की ओर से ‘भारत दर्शन प्रतिष्ठा सम्मान,न्यूजीलैंड’, तथा ‘अंतरराष्ट्रीय पहचान सम्मान,आकलैंड’ से अंलकृत किया गया ।

21 वें सम्मेलन भूटान में विमर्श का केंद्रीय विषय था,‘राजनीति का धरम-करम : धरम-करम की राजनीति’,जिसमें अतिथि वक्ता के रूप में सहभागी रहे -भूटान के प्रसिद्ध धर्म गुरु, लेखक, कवि व विचारकऔरसकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की नीतिके विशेषज्ञ डॉ.खेनपो फुंतशोक ताशी,पत्रकार,संपादक,सांसद तथा राष्ट्रीय असेंबली भूटान के पूर्व स्पीकर डॉ.दाशो पास्सांग दोरजी और बांग्लादेश से जाने-माने टेक्नोक्रेट डॉ.संतोष कुमार पंडा।

इस विमर्श सत्र में विशेष तौर पर शिक्षाविद डॉ.रेखा पांडेय, न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार सिंह,उत्तराखंड भाषा संस्थान के पूर्व निदेश डॉ.सविता मोहन,पूर्व विधायक (उत्तरप्रदेश) उर्मिला सिंह,चिकित्सक और समाजसेवी डॉ.पद्मिनी सोनवनी, अधिवक्ता जवाहर सिंह गंगवार,पत्रकार रवि भोई,जिला पंचायत अध्यक्ष (धमतरी) कांति सोनवानी ने अपना शोध आलेखों का वाचन किया। विषय प्रवेश कराते हुए दो मुख्य आलेखों का वाचन किया,पटना की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मंगलारानी एवं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार की प्रोफ़ेसर (इतिहास) डॉ.रेणु शुक्ला ने ।

अंतरराष्ट्रीय रचनापाठ में 7 भाषाओं का कविता पाठ

अंतरराष्ट्रीय रचना पाठ सत्र में भूटानी भाषा सहित गुज़राती, हिदी ओडिया, असमिया, तमिल, छत्तीसगढ़ी, बांग्ला, उत्तराखंडी, राजस्थानी सहित कई जनपदीय भाषाओं की उत्कृष्ट कविता तथा उसके अनुवाद का वाचन किया गया है। कविता पाठ करने वाले रचनाकारों में प्रमुख हैं–राधू मिश्र, नीरज नैथानी, किरण बाला जीनगर,चेतन भारती, विद्या प्रकाश कुरील, मंजुला त्रिपाठी, डॉ.मनोहरलाल श्रीमाली, कुंतलादत्ता, डॉ.हरिसुमन बिष्ट, डॉपुष्पा जोशी,जगमोहन आजाद, मृत्युंजय मोहन्ती, डॉ.ज्योत्स्नारानी पंडा, रीता मिश्र, डॉ.अंतर्यामी प्रधान,डॉ.संजुक्ता मिश्रा, सुधा पटनायक,श्रीराधूमिश्रा,नम्रता चड्ढ़ा,डॉ.वंदना गुप्ता,गजेंद्र सिंह,जय सिंह राज, डॉ.मोहन बैरागी, दामू वी जगमोहन,युक्ता राजश्री,सुभाष त्रिपाठी,मुमताज आदि।

कवि जयदेव के गीत गोविंद पर ओडिसी अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के पंचम सत्र ‘सांस्कृतिका’ में भूटान तथा भारतीय संगीत,लोक नृत्य,गायन व वादन की विशेष प्रस्तुतियाँ दी गईं। जिसमें नृत्यांगन डॉ.स्निग्धा स्वाईं द्वारा कवि जयदेव के गीत गोविंद पर ओडिसी,सुधा पटनायक द्वारा गीत-गोविंद पर शास्त्रीय नृत्य तथा युवा संगीतकार हीरालाल साहू द्वारा तबले पर त्रिताल की भाव-भीनी प्रस्तुति प्रमुख हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी,उत्तराखंडी,ओडिया,असमी,राजस्थानी, केरलीय,गुजराती तथा मिजोरमी लोकनृत्य की प्रस्तुति पर भूटान और भारत के दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे।

21 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन को सफल बनाने में देश-विदेश की जिन सांस्कृतिक संस्थाओं और पत्रिकाओं ने प्रायोजन सहयोग किया उनमें प्रमुख हैं – सृजन-सम्मान छत्तीसगढ़, डॉ.सच्चिदानंद त्रिपाठी स्मृति संस्थान कटक,आपका तीस्ता हिमालय सिलीगुड़ी,उत्तर बंग हिंदी ग्रंथागार सिलीगुड़ी,द सन एक्सप्रेस, भारत दर्शन न्यूजीलैंड,पहचान आंकलैंड, ट्रू मीडिया दिल्ली,रचना उत्सव प्रयाग, तथागत संदेश रायपुर,सलेकचंद जैन स्मृति संस्थान दिल्ली,डॉ.ब्रजवल्लभ मिश्र स्मृति संस्थान पुणे,सिंधुदेवी रथ स्मृति संस्थान रायगढ़,दाउ कल्याण सिंह सोनवानी स्मृति संस्था धमतरी,कर्नल विप्लव त्रिपाठी स्मृति संस्थान रायगढ़, सागर बीच रिसोर्ट कोवलम केरल।

 

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