26 मार्च से शुरू होकर 82 दिन चलेगा ऐतिहासिक मां पूर्णागिरि मेला, इस बार यह रहेगा आर्कषण का केंद्र

March 24, 2024 | samvaad365

उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेला 26 मार्च से शुरू हो रहा है। इस बार का मेला श्रद्धालुओं के लिए खास रहने वाला है। अन्नपूर्णा की चोटी पर स्थित मंदिर में मां पूर्णागिरि की प्रतिमा के आगे नाभि का हिस्सा श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहेगा। नाभि पर रंग बिरंगी लाइटों से रोशनी डाली जाएगी, ताकि श्रद्धालु रात के समय भी आसानी से दर्शन कर सकें।

पूर्णागिरि धाम में गिरी थी सती की नाभि

पूर्णागिरि धाम में सती की नाभि गिरी थी, जिसके कारण यहां नाभि का काफी अधिक महत्व है। पूर्णागिरि धाम देश के 52 शक्तिपीठों में शामिल है। जब सती ने अपनी पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर स्वयं को जला डाला था तो भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे। इस दौरान मां की नाभि अन्नपूर्णा चोटी पर गिरी। जिसके बाद से यह स्थल मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ के लाम से जाना जाता है।

कालांतर में नाभि का मुंह बंद हो गया

मां पूर्णागिरि धाम के पुजारी कैलाश पांडेय ने बताया कि यह नाभि पूर्णागिरि धाम से नदी की तलहटी तक करीब 800 मीटर तक लंबी है। काफी समय पूर्व नाभि खुले होने से श्रद्धालुओं द्वारा उसमें सोना, चांदी के सिक्के, रुपये, नारियल आदि चढ़ाए जाते थे। कालांतर में नाभि का मुंह बंद हो गया। अब श्रद्धालु नाभि के सामने चढ़ावा चढ़ाते हैं। जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी भगवत पाटनी ने बताया कि अधिकांश श्रद्धालुओं को नाभि के बारे में पता नहीं चल पाता है। इस बार जिला पंचायत नाभि के हिस्से पर आकर्षक रोशनी करेगी ताकि श्रद्धालु उसके दर्शन करने के साथ चढ़ावा चढ़ा सकें। इसके अलावा अन्नपूर्णा चोटी के ऊपर लाइट की पूरी व्यवस्था होगी। चोटी पर मां का चक्र होगा जो रात के समय लाल, पीली, नीली, हरी रोशनी से जगमगाता रहेगा। इससे श्रद्धालु मां पूर्णागिरि की चोटी के दर्शन नागा क्षेत्र से ही कर सकेंगे।

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