जोशीमठ भू-धंसाव ITBP और सेना के लिए बना चिंता का विषय, देश की सुरक्षा पर पड़ सकता है असर

January 5, 2023 | samvaad365

जोशीमठ धार्मिक पौराणिक एवं ऐतिहासिक शहर ही नहीं बल्कि ये सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां से भारत तिब्बत सीमा महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यह संसाधनों से भरपूर अंतिम सरहदी शहर है। भू-धंसाव का आकार प्रतिदिन सुरसा राक्षसी की मुंह के सामन बढ़ता ही जा रहा है।

अब भू-धंसाव का क्षेत्र सेना और आईटीबीपी के मुख्यालय की ओर बढ़ना शुरू हो गया है। सेना मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क भी धंसने शुरू हो गई है। जल्द इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो देश की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।

जोशीमठ में भारतीय सेना का बिग्रेड मुख्यालय और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक बटालियन तैनात है। जोशीमठ भारत तिब्बत सीमा (चीन के अधिकार क्षेत्र) का अंतिम शहर है। यहां से नीति और माणा घाटियां भारत तिब्बत सीमा से जुड़ती हैं।

हाल के दिनों में जिस तरह से इस सीमांत शहर में बडे़ पैमाने पर भू-धंसाव की घटना सामने आई है। भू-धंसाव का क्षेत्र अब सेना और आईटीबीपी के मुख्यालय की ओर भी बढ़ना शुरू हो गया है। भू-धंसाव वाले क्षेत्र में जवानों को रहना भी मुश्किल हो जाएगा।

जिस तरह से यहां बड़ी तेजी से भू-धंसाव हो रहा है उससे स्थानीय लोगों के साथ सेना की चिंता भी बढ़ गई है। खासतौर से तब जब चीन से भारत के संबंधों में तल्खी बनी हुई है। भारतीय सुरक्षा बलों के बाद इस सीमांत इलाके के नागरिक दूसरी रक्षा पंक्ति में आते हैं। भू-धंसाव की घटना पर यदि प्रभावी रोक नहीं लगी तो ये देश की सुरक्षा को भी खतरा पैदा कर सकता है। जोशीमठ में स्काउट आईबेक्स बिग्रेड का मुख्यालय भी है।

वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ था। उस समय इस सीमांत इलाके में भारतीय सेना नहीं थी लेकिन उसके बाद इस संवेदनशील क्षेत्र में सेना की तैनाती की गई। इसके अलावा भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी यहां तैनात किए गए। अक्सर भारत के सीमावर्ती क्षेत्र बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं।

वर्ष 2022 में चीनी सैनिकों ने बार घुसपैठ की कोशिश की। वर्ष 2021 में बाड़ाहोती में चीन के करीब 100 सैनिकों ने बॉर्डर क्रॉस किया था। इतना ही नहीं वर्ष 2014-18 तक करीब 10 बार चीन सीमा पर घुसपैठ कर चुका है। हालांकि हर बार आईटीबीपी के जवानों के आगे चीन के सैनिकों की नहीं चली।

संवाद 365, दिविज बहुगुणा

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