नरेंद्रनगर: जारी है घंटाकर्ण देवता के मंदिर का निर्माण कार्य, मंदिर में हर साल आते हैं हजारों भक्त

August 19, 2020 | samvaad365

नरेंद्रनगर: नरेंद्रनगर में क्वीली, पालकोट, दोगी, धारअक्रिया, धमान्दस्यूं व कुंजणी सहित 6 पट्टियों के मध्य स्थित 8 हजार फीट की ऊंचाई पर उतुंग पर्वत श्रृंखला के घंड्याल डांडा शिखर पर विराजमान घंटाकर्ण देवता के दर्शनार्थ वर्ष भर में हजारों भक्त मंदिर में मन्नतें मांगने जाते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से घंटाकर्ण देवता के दर्शन मात्र से भक्तजनों की मन्नतें पूर्ण हो जाती हैं।

मंदिर की व्यवस्था के लिए घंटाकर्ण मंदिर व्यवस्था एवं विकास समिति का गठन किया गया था। मंदिर समिति की देख-रेख में इन दिनों इस पौराणिक मंदिर का जीर्णोद्धार का काम गतिमान है। समिति के अध्यक्ष विजय प्रकाश बिजल्वाण, सचिव बुद्धि सिंह रावत, कोषाध्यक्ष नरेंद्र बिजल्वाण तथा सह सचिव अशोक बिजल्वाण ने बताया कि घंटाकर्ण देवता के भव्य मंदिर निर्माण में श्रद्धालु भक्तजन बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष विजय प्रकाश विजल्वाण, ईश्वरी प्रसाद विजल्वाण व नरेन्द्र विजल्वाण का कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य भगवान घंटाकरण की अनुमति के अनुसार ही किया जा रहा है।

वे बताते हैं कि भगवान घंटाकरण क्षेत्र के युवा कुलवीर सजवाण पर अवतरित होकर जिस विधि-विधान का पालन करते हुए मंदिर व्यवस्था बनाए रखने का आदेश दे रहे हैं, उसी अनुसार काम किया जा रहा है। आपको बता दें कि इस मंदिर निर्माण के समय में पुजारी सहित सभी लोगों का मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश वर्जित है।  मंदिर निर्माण के चलते गर्भ गृह के बाहर ही मंदिर के पुजारी पूजा अर्चना कर रहे हैं। समिति का कहना है कि पश्वा पर अवतरित होकर घंटाकर्ण भगवान मंदिर निर्माण को छोटी दीपावली से पूर्व करने को कह चुके हैं। साथ ही छोटी दीपावली से मंदिर गर्भ गृह में पूजा अर्चना के लिए सिर्फ मंदिर के पुजारी विजल्वाण और भक्त सजवाण ही प्रवेश कर सकेंगे, इनके अलावा अन्य कोई भी श्रद्धालु मंदिर गर्भ गृह में पहले की भांति प्रवेश न करके उत्तराखंड के प्रसिद्ध 4 धामों के दर्शनों की तरह गर्भ गृह के बाहर से ही भगवान घंटाकर्ण के दर्शन कर पायेंगे।ताकि गर्भ गृह की पवित्रता व देवस्थान के अनुकूल व्यवस्था बनी रहे।

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए गजा कस्बे तक मोटर मार्ग है। गजा से गौंता चली ढाई किमी तक छोटे वाहन आते-जाते हैं। मगर गौंताचली से मंदिर तक 3 किमी तक की खड़ी चढ़ाई पर है। श्रद्धालुओं की सुविधा की दृष्टि से मंदिर के लिए अभी तक सरकार की ओर से न तो कोई पेयजल पाइपलाइन बिछी है और ना ही वाहनों की आवा-जाही के लिए अभी तक मोटर मार्ग का निर्माण हो पाया है।

श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान देखते हुए मंदिर समिति खच्चरों के द्वारा कखरियाली  स्त्रोत से 3 किलोमीटर की खडी़ चढ़ाई पर पानी का ढुलान करवा रही है। मंदिर निर्माण के लिए गौंताचली से मंदिर तक की साढे़ 3 किमी की खडी़ चढा़ई से सामान ढुलाई में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

मंदिर समिति के अध्यक्ष विजय प्रकाश विजल्वाण, सचिव बुध्दी सिंह रावत, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र विजल्वाण, सह सचिव अशोक विजल्वाण, डा जगमोहन सजवाण, कुलबीर सजवाण, वीर सिंह रावत, पूर्व जेष्ठ प्रमुख ईश्वरी प्रसाद विजल्वाण, वीरेंद्र सजवाण, सतेंद्र सिंह सजवाण, हिमांशु विजल्वाण, धन सिंह सजवाण, त्रिलोक सिंह सजवाण सहित क्षेत्रीय श्रद्धालु जोशोखरोश तथा मनोयोगपूर्वक मंदिर निर्माण में निष्ठापूर्वक सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

https://youtu.be/QA-NeP2STrg

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संवाद365/वाचस्पति रयाल

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