नैनीताल के 27 हजार लोग डेंजर जोन में, तीर्थयात्रियों पर डिजिटल सिस्टम लागू

April 7, 2023 | samvaad365

उत्तराखंड में चौतरफा भूस्खलन और तेज बारिश के चलते नैनीताल के करीब 27 हजार लोगो पर खतरा मंडरा रहा है। पिछले पांच-सात सालों में नैनीताल-मसूरी में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी है। ऐसा जलवायु परिवर्तन की वजह हो रहा है। नैनीताल के बलियाना, नयना, पीका, राजभवन के गोल्फ कोर्स क्षेत्र में भूस्खलन की आशंका बढ़ रही है। इन सब के चलते यहां पर टिकाऊ विकास बेहद जरूरी है। वाडिया इंस्टीयूट की अध्ययन रिपोर्ट के बाद अब डीपीआर बनाने की दिशा में सरकार बढ़ रही है। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी (एटीआइ) में शहरी विकास विभाग की ओर से हिमालयी शहरों में विकास की चुनौती विषयक कार्यशाला में हिस्सा लेने पहुंचे वाडिया इंस्टीयूट देहरादून के वरिष्ठ विज्ञानिक डा.विक्रम गुप्ता ने बताया कि इंडो-नार्वे प्रोजेक्ट के अंतर्गत पिछले तीन-चार साल में एख अध्ययन किया गया था। ऐसे में हमें सेटेलाइट टाउनशिप की तरफ बढ़ना चाहिए। अब इन हिल स्टेशनों में बहुत सोच समझकर काम करना चाहिए। हमें बेहद संवेदनशील होना पड़ेगा। अवैध निर्माण पर सख्ती के साथ ही पर्यटन सीजन में पर्यटकों की भीड़ को संयमित करने की जरूरत है। तभी इस समस्या का समाधान होगा।

पंरपरागत तकनीक आधारित भवन निर्माण शैली अपनाई जाए-

जलवायु परिवर्तन पर हिमालय क्षेत्र में काम कर रहे ईसी मोड नेपाल के महानिदेशक पेमा ज्यामस्थों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में काम कर रहे ईसा मोड नेपाल के महानिवेशक पेमा ज्यामस्थो का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र के शहरों में अब परंपरागत तकनीक आधारित निर्माण होना चाहिए। स्थानीय सामग्री का उपयोग निर्माण में बढ़ाया जाना चाहिए। पर्वतीय शहरों में कंक्रीट निर्माण से परहेज जरूरी व समय की मांग भी है। नैनीताल में संकरी रोड हैं, जो कभी कभार पर्यटकों के लिए खतरा बनती हैं। ऐसे में तकनीकी आधारित यातायात प्रबंधन सिस्टम लागू किया जा सकता है। नेपाल के साथ ही भूटान में भारत के पर्वतीय इलाकों गुड प्रेक्टिसेज को लागू किया जा सकता है।

आंकिता कुमाई

यहा भी पढ़े-उत्तराखंड में कोरोना के केस फिर से बढ़ने लगे , 24 नए कोरोना संक्रमित मिले

 

87218

You may also like