पिथौरागढ़: हरेला सोसायटी संस्था बुरांश, प्योली, हल्दी, बिच्छू घास, गेंदा, डहेलिया, पालक, मूली, चुकंदर से बना रही रंग

March 27, 2021 | samvaad365

होली का रंगभरा त्यौहार आ गया है. ऐसे में बाजार कई तरह के रंगों से सज गए हैं. ये रंग आपको अपनी ओर आकर्षित भी कर रहे होंगे। लेकिन कैमिकल से बने ये रंग आपकी त्वचा के लिये नुकसान दायक भी हो सकते है। ऐसे में पिथौरागढ़ की हरेला सोसायटी फूलों से हर्बल रंग तैयार कर  रही है। जिनकी डिमांड पूरे देश भर से आ रही है. हरेला सोसायटी स्थानीय स्तर पर बुरांश, प्योली, हल्दी, बिच्छू घास, गेंदा, डहेलिया, पालक, मूली, चुकंदर आदि से रंग बना रही हैं। जो बाजार में फाल्गुन ऑर्गेनिक होली नाम से उपलब्ध हैं। ये रंग अन्य कैमिकल से बने रंगों से महंगे जरूर है लेकिन इनसे आपकी त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा। पूरी तरह हर्बल रंग होने के चलते सोसाइटी के पास देशभर के शहरों से इसकी डिमांड आ रही है.

हरेला सोसाइटी के कहना है कि हर्बल रंग बनाने का उनका उद्देश्य प्रकृति को संरक्षित करते हुए आजीविका को बढ़ावा देना है । रंगों को बनाने में संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा गया है। रंग बनाने के लिए एक खास विधि से पेड़ पौधों से सिर्फ 25 फीसदी फूल चुने जाते है। ताकि पौधे का प्राकृतिक रूप बने रहे।  इसके साथ ही जमीन पर गिरे फूलों में से भी आधे ही फूल उठाये जाते है ताकि जमीन की नमी बरकरार रहे। संस्था द्वारा रंगों से होने वाली कमाई भी एक चौथाई हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च किया जाता है.

हरेला सोसायटी ने रंगों के पैकिंग में भी पर्यावरण संरक्षण का खास ध्यान रखा है प्लास्टिक के प्रयोग से बचने के लिए रंगों की पैकिंग भी कपड़ों की थैलियों में की गई है। हरेला सोसायटी के ये प्रयास एक तरफ तो लोगो को हानिकारक रंगों से होने वाले नुकसान से बचा रहा है साथ ही प्राकृतिक संतुलन को बनाते हुए लोगो को रोजगार से जोड़ रहा है.

(संवाद 365/मनोज चंद)

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