उत्तराखंड के लोककलाकार एवं गढ़वाली के सुविख्यात रंगकर्मी रामरतन काला नहीं रहे। कल रात हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया।वे बहुत सहज और ग्रामीण पृष्ठभूमि के कलाकार थे। “ब्यौलि खुजे द्यावो”, “अब खा माछा” स्याणी , आदि उनकी अनेक हास्य प्रस्तुतियां देखने-सुनने वालों को आज भी गुदगुदाती हैं। वे आकाशवाणी और दूरदर्शन के जाने-माने कलाकार रहे। वे 2008 से बीमारी की हालत में थे लेकिन कुछ समय उनकी सेहत में बाद सुधार हो गया था ,हालांकि उन्होंने इसके बाद फिल्मों , लोक संगीत में प्रतिभाग करना बंद कर दिया था। उन्होनें गढ़वाली की अनेक फिल्मों में हास्य कलाकार की भूमिका निभाई है । हास्य उनमें उनमें कूट-कूट कर भरा था। उनके निधन की खबर सुन पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर है । संवाद365 स्व. रामरतन काला को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
संवाद365,डेस्क
यह भी पढ़े-हंस फाउंडेशन ने कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए एम्स ऋषिकेश के लिए रवाना की वेंटिलेटर की पहली खेप