रुद्रप्रयाग: विनोद के परिवार के सामने है भरण पोषण का संकट… पढ़ें पूरी खबर

May 9, 2020 | samvaad365

रुद्रप्रयाग: कहते हैं जब ऊपर वाला इम्तहान लेता है, तो चौतरफा दुःखो के ऐसे पहाड़ गिरा देता है, कि जिंदगी जीते जी मौत से भी भारी लगती है. आज हम आपको ऐसे परिवार की दुख भरी दास्ता बताने जा रहे हैं, जिसे नियती ने ऐसे घाव दिए है कि उन्हें भरने वाला कोई नहीं है. रूद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि विकासखड के कमेड़ा गांव के विनोद सिंह राणा ने दो वर्ष पूर्व तक कभी सोचा भी नहीं था कि नियति उसके साथ ऐसा खेल खेलेगी कि उसकी जिंदगी जीते जी नर्क बन जायेगी। हरिद्वार में प्राईवेट टैक्सी चलाने वाला विनोद सिंह को वर्ष 2018 में अचानक ही ऐसी बीमारी ने घेर लिया कि उसके हाथ-पाँव ने काम करना ही बंद कर दिया। परिवार ने कर्ज कर लाखों का खर्चा किया लेकिन विनोद जिंदा लांश बनकर रह गए।

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विनोद आज भी बिना दो लोगों के सहारे के अन्दर बाहर नहीं जा पाता। बिन सहारे बिस्तर से खड़ा नहीं हो पाता। मराणासन स्थिति में पहुँचे विनोद की बीमारी तो खत्म नहीं हुई लेकिन कर्ज के बोझ तले दबे विनोद के पिता भगवत सिंह बीते 11 अप्रैल को इसी चिंता में इस दुनियां से चल बसे। अब ऐसे में परिवार के भरण पोषण का संकट पैदा हो गया है।

दो वर्षों से विकलांग अवस्था में पड़े विनोद के लिए न तो आयुष्मान कार्ड काम आया न अन्य व्यवस्थाएं। लाखों खर्च करने के बाद परिवार उम्मीद खो चुका है।  गांव के लोग आते जाते ढाढ़स तो बंधा जाते हैं लेकिन दुःखों का बोझ इतना है कि जिंदगी भारी और मौत आसान लगती है.

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संवाद365/कुलदीप राणा

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