कोरोना वारियर्स के प्रोत्साहन को लेकर कर्मचारियों में नाराजगी, विभागीय कर्मियों को प्रोत्साहन दिए जाने की कर रहे हैं मांग

September 16, 2021 | samvaad365

हाल ही में सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा जनपद एवं तहसील स्तर पर, पटवारी, लेखपाल, राजस्व निरीक्षकों एवं नायब तहसीलदार को कोविड-19 कार्यों के सफल निर्वाहन हेतु, प्रशस्ति पत्र देकर दस हजार रुपये की धनराशि दिए जाने की घोषणा को जहां एक और स्वागत योग्य माना जा रहा है, वहीं राजस्व विभाग में कार्यरत मिनिस्ट्रियल कर्मियों में ,शिक्षक संघ एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव है ।इसके लिए उन्होंने ना केवल कई सवाल उठाए है वही अपील भी की है कि जिन जिन विभागीय कर्मियों द्वारा इस संकट के समय मे लोगो की मदद की गई है उन सभी को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मिनिस्ट्रियल कर्मियों ने हाल ही में बाकायदा उक्त बात हेतु माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को ज्ञापन भेज कर सरकार से अनुरोध किया है कि, पटवारी से नायब तहसीलदार तक को दी गई प्रोत्साहन राशि की भांति मिनिस्ट्रियल कर्मियों को भी प्रशस्ति पत्र के अलावा नगद धनराशि भी दी जाय।

वहीं कलेक्टोरेट मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री केशव गैरोला ने घनसाली तहसील में कहा कि भूलेख कर्मियों की भांति मिनिस्ट्रियल कर्मियों के द्वारा भी कोविड-19 में कार्यों में रात दिन एक कर महामारी से निपटने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया.

जिसके फलस्वरूप कतिपय कर्मचारियों को जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी के माध्यम से प्रशस्ति पत्र भी दे कर सम्मानित भी किया गया है. अब इसके बावजूद भी ऐसे मिनिस्ट्रियल कर्मियों जिनके द्वारा कोविड-19 कार्यों का निर्वहन किया गया है उन्हे माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा प्रदत्त प्रोत्साहन धनराशि से वंचित रखा जाने से, मिनिस्ट्रीयल तथा अन्य ऐसे कर्मिक जिनके द्वारा कोविड-19 कार्यों का निर्वहन किया गया है की उपेक्षा किए जाने से भारी निराशा व्याप्त है.

वहीं राजकीय शिक्षक संघ भिलंगना के अध्यक्ष उपेंद्र मैठानी ने भी इस बात को रखा कि उनके शिक्षक संघ से जिन भी शिक्षको द्वारा कोविड के संक्रमण काल मे जनता के लिए अपनी सेवाओ को दिया गया है उनको भी उक्त लाभ मिलना चाहिए ऐसा ना होने से निराशा का भाव है साथ ही साथ अनुरोध कर अपनी बात रखी.

वहीं अधिवक्ता एवं उत्तरखंड आंदोलनकारी लोकेन्द्र जोशी ने कहा कि कोविड कर्फ्यू के दौरान जिन भी कर्मियों द्वारा सामाजिक व्यक्तियों और समूहों द्वाराबजन सामान्य की आवश्यक सुविधा, विभिन्न प्रयोजन हेतु पास निर्गत करना, वाहनों के आवागमन और उनके गंतव्य तक पहुंचने की समुचित व्यवस्था करना, कंटेन्मेंट जोन तक कर्मियों की तैनाती की व्यवस्था, राशन प्राप्ति वितरण, सेनिटाइजर बाँटना, वाहनों की व्यवस्था, कंट्रोल रूम का संचालन, सूचनाओं का आदान प्रदान करना आदि समुचित व्यवस्था और देश विदेश तक लोगों के आने जाने की व्यवस्था की गई.

जो कि परिस्थितियों के देखते हुए जोखिम भरा कार्य था उन्हें भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए इसमे किसी तरह की राजनीति नही होनी चाहिए. उनका कहना है कि वह उत्तरखंड आंदोलन से लेकर आजतक इस बात को देख रहे है कि जिनके पास सत्ता होती है वह अपने ही लोगो का काम करते आ रहे है असल लोग ऐसी रेस में हमेशा ही छूट जाते है. लिहाजा उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि सबका ख्याल रखा जाना चाहिए चाहे वह कोई भी हो. यही नहीं उन्होंने अन्य लोग जो सामाजिक सरोकारी से जुड़े थे और जिनके द्वारा लगातार ऐसे समय मे लोगो की मदद की गयी सभी को कमसे कम प्रशस्ति पत्र तो अवश्य दिए जाने चाहिए थे.

उन्होंने बताया कि उनके द्वारा भी डॉ गोविंद सिंह रावत के साथ एक लाख से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंचाई गयी. अन्य कई सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों द्वारा भी लोगो की मदद की गई ऐसे में उन्होंने बडा आरोप लगाते हुए कहा की ऐसे में भी केवल राजनीति ही कि गयी जिन्होंने समाज के लिए कार्य किया उनके साथ भी राजनीति की गई.

सभी तरह के कर्मियों के द्वारा किये गए कार्यो के आधार पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम लाल त्रिकोटिया ने भी मुख्यमंत्री से ऐसे सभी लोगो को प्रोत्साहन देने की गुजारिश की, हयात कंडारी ने भी उक्त सभी मांगो का समर्थन कर मुख्यमंत्री से निवेदन किया.

(संवाद365/हर्षमणि उनियाल)

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