एम्स ऋषिकेश में दो दिवसीय पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट वर्कशॉप का शुभारंभ

February 2, 2019 | samvaad365

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में शनिवार को दो दिवसीय पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट वर्कशॉप विधिवत शुरू हो गई। जिसमें देशभर से जुटे विशेषज्ञ चिकित्सकों ने स्वांस से जुड़े रोगों, कारण एवं निवारण पर व्याखानमाला प्रस्तुत की। एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला का डीन एकेडमिक प्रो.सुरेखा किशोर ने विधिवत शुभारंभ किया, इस दौरान उन्होंने विभाग द्वारा की गई पहल की सराहना की।

कार्यशाला में प्रतिभागियों को अपने संदेश में संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि विश्वभर में प्रदूषण, धूम्रपान व एलर्जी के कारण सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में प्रतिवर्ष इजाफा हो रहा है। ऐसी स्थिति में सही समय पर पल्मोनरी मेडिसिन स्पेशलिस्ट की सलाह एवं सांस संबंधी उच्चतम जांच से सही कारणों का पता लगाया जा सकता है। एम्स निदेशक प्रो.रवि कांत ने बताया कि उत्तर भारत में सांस संबंधी उच्चतम जांच की सुविधाएं निहायत कम स्थानों पर उपलब्ध है। ऐसे में एम्स ऋषिकेश के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में तमाम उच्चतम जांच सुविधाओं की उपलब्धता सांस के मरीजों के लिए वरदान है। इस दौरान निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि जहां संस्थान मरीजों को वल्र्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है वहीं समीपवर्ती राज्यों के चिकित्सकों व तकनीशियनों को कार्यशाला के माध्यम से सांस से संबंधित जांचों को सही तरह से करने व समझने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस अवसर पर एम्स निदेशक ने पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की इस पहल की सराहना भी की।

पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो.गिरीश सिंधवानी व वर्कशॉप के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डा.मयंक मिश्रा ने बताया कि सांस संबंधी तकलीफ कई वजह से हो सकती है। जिसमें फेफड़े, दिल, जिगर व गुर्दों की बीमारी मुख्य वजह होती है। ऐसे में यदि सांस की आधुनिक एवं उच्चतम जांच की सुविधा नहीं हो तो कई बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। जिससे सही व त्वरित उपचार नहीं मिलने से मरीज की परेशानी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि सिर्फ सांस की जांच करना ही काफी नहीं है, मर्ज को चिकित्सक द्वारा सही प्रकार से समझना और मरीज को राहत पहुंचाना अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि भविष्य में इस तरह की कार्यशालाओं का निरंतर आयोजन किया जाएगा, जिससे चिकित्सकों व कर्मचारियों को पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पीएफटी प्रशिक्षण का अवसर मिल सके। कार्यशाला में चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन पूणे की विशेषज्ञ डा. डा.रघुपति अंचला,डा.नीरज शास्त्री, डा.नितिन बंजारे ने प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट स्पायरोमैटरी,सिक्स मिनट वॉक टेस्ट, डीएलसीओ और लंग वोल्यूम जांच संबंधी तकनीकी जानकारियां दी। विभागीय चिकित्सक डा.रुचि दुवा ने प्रतिभागियों को सिक्स मिनट वॉक टेस्ट,डा.लोकेश सैनी ने स्पायरोमैटरी करने और डा.प्रखर शर्मा ने जांच के दौरान व जांच से पूर्व सांस संबंधी इन्फेक्शन से बचाव के तौर तरीके बताए।

यह खबर भी पढ़ें-बागेश्वर में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल का विरोध, सरकार के खिलाफ रखा एक दिवसीय उपवास

यह खबर भी पढ़ें-सितारगंज में नवंबर महीने में हुई लाखों की चोरी का खुलासा, उड़ जाएंगे होश…

ऋषिकेश/हेमवती नन्दन भट्ट (हेमू)

31592

You may also like