देहरादून में दो दिवसीय उत्तराखंड विरासत की धूम, ढोल दमाऊ की थाप पर थिरके दर्शक

October 25, 2021 | samvaad365

देहरादून में दो दिवसीय उत्तराखंड विरासत की धूम देखने को मिली । दूर दूर से हस्तशिल्प कलाकार व पारंपरिक वाघ यंत्रों के कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन चारधाम अस्पताल के निदेशक के. पी. जोशी द्वारा किया गया । इस दौरान दूरस्थ क्षेत्रों के कलाकारों ने दो दिवसीय उत्तराखंड विरासत में पहुंचकर समां बांधा । कार्यक्रम का शुभारंभ करने के लिए 23 अक्टूबर को देहरादून के मेयर सुनिल उनियाल गामा पहुंचे जिसके बाद उन्होनें हस्तशिल्प कलाकारों के स्टालों में विभिन्न कालकृतियों की प्रदर्शनी का भी निरिक्षण किया व कलाकारों की जमकर सराहना की । इस दौरान कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी व जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण भी मौजूद रहे । कार्यक्रम में दूर दूर से आए कलाकारों के मंच में ढोल दमाउं की थाप पर  दर्शक भी जमकर थिरके ।

कार्यक्रम के आयोजक चारधाम अस्पताल के निदेशक के पी जोशी ने बताया कि पहाड़ के वाघ यंत्र आज विलुप्ति के कगार पर और आज की नई पीढ़ी अपने पहाड़ की संस्कृति को अच्छी तरह नहीं जानती जिसके लिए उन्होनें उत्तराखंड के हर जिले के कलाकार, वहां की संस्कृति और हस्तशिलंप कलाकारी को एक मंच पर लाने के लिए उत्तराखंड विरासत कार्यक्रम का आय़ोजन किया है । इस दौरान कार्य़क्रम में मौजूद प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी व जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, लोकगायिका मीना राणा व लोकगायिका संगीता ढोंढियाल सभी ने चारधाम अस्पताल के निदेशक के पी जोशी की इस पहल को सराहनीय बताया साथ ही इस तरह के कार्यक्रमों को समय समय पर करने की बात भी कही ताकि कलाकारों को मंच व सम्मान मिल सके और युवा पीड़ी भी अपनी संस्कृति से वाकिफ हो सके ।

 

इस दौरान संवाद365 ने जब ढोल दमाउ बजाते कलाकारों से बात की तो सभी ने इस आयोजन में बुलाने के लिए आयोजककर्त्ता के पी जोशी का धन्यवाद किया । बागेश्वर से आई ढोल दमाउ की टीम ने बताया कि वे कई सालों से उत्तराखंड के वाघ यंत्रो को बजाने का काम कर रहे हैं जिसे वे आगे भी जारी रखेंगे ताकि आगे आने वाली पीढ़ी भी अपने वाघ यंत्रो को पहचान सके और ये विलुप्त न हो । वहीं चमोली जिले के घाट से आई टीम ने कार्यक्रम की जमकर सराहना की साथ ही के पी जोशी को बेहतर मंच देने के लिए धन्यवाद भी दिया । व हाल ही खुली प्रीतम भरतवाण की ढोल सागर अकेडमी खुलने पर काफी प्रसन्नता दिखाई उनका कहना था कि अकेडमी खुलने से उत्तराखंड के वाघ यंत्र ढोल को विळिष्ट पहचान मिलेगी ।कार्यक्रम में कई जिलों से आए हस्तशिल्प कलाकारों ने पहाड़ के चीड़ रिंगाल , बांस से निर्मीत उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई है । जिनमें हाथों से बनाए गए मोबाइल स्टैंड , रिंगाल से बनी बास्केट , महासू देवता का मंदिर , कान के झुमके, ऐंपण आर्कषण का केन्द्र रहे ।उत्तराखंड विरासत का दो दिवसीय कार्यक्रम काफी शानदार रहा । एक तरफ मंच पर प्रस्तुतु देते कलाकारों ने उत्तराखंड के वाघ यंत्र बजाकर समां बांधा तो वहीं दूसरी तरफ हस्तशिल्प कलाकारों की प्रदर्शनी ने सबका मन मोहा । वास्तव में इस तरह के कार्यक्रम का समय समय पर होना काफी जरूरी है क्योकि इन कार्यक्रमों के जरिए उत्तराखंड के कलाकारों को मंच , विलुप्त होते वाघ यंत्रो को उनकी सही पहचान मिलती है जिससे युवा पीढ़ी भी अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं ।

संवाद365,रेनू उप्रेती

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