जोशीमठ सीमान्त क्षेत्र के नीति घाटी के गाँव के बड़ागांव में रंगों का महा पर्व होली बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। लेकिन गांव में आज भी होलिका दहन के पश्चात होलिका के राख से खेली जाती है। जिसे आज भी इस होली के पर्व को स्थानीय भाषा मे छरौली के नाम से जाना जाता है। गांव के तमाम बच्चे बूढे ओर जवान और महिलाएं गांव के मन्दिर से ही होली की शुरुआत करते हैं। मन्दिर में महिलाओं द्वारा लोक जागर का गायन एवं नृत्य किया जाता है। वही बच्चे बूढे डोल दमाव के थाप पर नृत्य करते हुए एक दूसरे पर राख का टीका एवं अबीर गुलाल लगाकर गले मिलते है। गांव के सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर होली की बधाई देते है। इस अवसर पर प्रत्येक घर में स्थानीय पकवान पूरी छोले एवं बांग के पकोड़े बनाये जाते है। जिससे सभी लोग होली का भरपूर आनन्द लेते हैं।
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चमोली/पुष्कर नेगी