रूद्रप्रयाग जनपद में अलकनंदा-मंदाकिनी लस्तर जैसी सदानीरा नदियों के साथ ही कई प्राकृतिक बाढ़-गदेरनों के किनारे अनेकों गाँव कस्बे और शहर बसें हैं ऐसे में यहां मत्स्य पालन की असीम सभावनाएं मौजूद हैं, रूद्रप्रयाग जनपद में पानी की भरपूर मात्रा वाले क्षेत्रों में आज कई किसान मत्स्य पालन की नई नई तकनीके अपनाकर इस व्यवसाय से आर्थिक रूप से स्वावलंबी एवं सम्पन्न हो रहे हैं। वहीं इनके जीवन स्तर में भी पर्याप्त बदलाव देखने को मिल रहा है। रूद्रप्रयाग के जिले के भणज, किंजाणी, लदोली, उखीमठ और जखोली के धारकुडी क्षेत्र में किसानों द्वारा ट्राउड मछली का पालन कर स्वरोजगार किया जा रहा है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूत तो हो ही रही है बल्कि गाम युवा बेरोजगारों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।
हालांकि बड़े पैमाने पर किसान मत्स्य पालन के इच्छुक रहते हैं लेकिन मछली के बीच जनपद के बाहर से मांगवाने के कारण किसानों को जहाँ बीच काफी मंहगा पड़ जाता है वहीं किसान को मत्स्य बीजों की मृत्यु होने का जोखिम भी रहता है। ऐसे में अब रूद्रप्रयाग जनपद में मत्स्य विभाग द्वारा मछली बीच उत्पादन केन्द्र की स्थापना की जा रही है। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो आने वाले चार माह में रूद्रप्रयाग जनपद में मछली बीज उत्पादन आरम्भ हो जायेगा इसके लिए मत्स्य विभाग द्वारा करीब 2 करोड़ 63 लाख की लागत से जखोली विकासखण्ड के धारकुड़ी गाँव में मस्त्य बीज उत्पादन केन्द्र की स्थापना की जा रही है। केन्द्र का निर्माण कार्य करीब 50 प्रतिशत पूर्ण हो गया है और आगामी नवम्बर माह से यहां ट्राउड मछली बीच का उत्पादन शुरू हो जायेगा।ऐसे में मत्स्य पालन कोरोना काल में बेरोजगार होकर घर लौटे प्रवासियों के लिए भी वरदान बन सकती है बल्कि पहाड़ की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है।
संवाद365,कुलदीप राणा आजाद