नई दिल्ली: गुरुवार को दिल्ली में अन्तर विश्वविद्यालय केंद्र-योग विज्ञान, बेंगलुरु के तत्वाधान में आयोजित ‘योग एवं योग विज्ञान’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विज्ञान खोज से, अन्वेषण से शुरू होता है। वैसे ही योग भी मान्यता से शुरू नहीं होता। खोज, जिज्ञासा, अन्वेषण से शुरू होता है। इसलिए योग के लिए सिर्फ प्रयोग करने की शक्ति की आवश्यकता है, प्रयोग करने की सामर्थ्य की आवश्यकता है और खोज के साहस की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विश्व योग दिवस पर 21 जून को विश्व के 192 देशों के नागरिक जब योग करते नजर आते है तब यह स्वतः प्रमाणित होता है कि योग वैज्ञानिक है। सबसे उत्साहजनक बात यह है कि इसमें 46 मुस्लिम देश भी शामिल हुए।
योग-विज्ञान सूत्रों का किसी धर्म विशेष से कोई संबंध नहीं है, यद्यपि इन सूत्रों के बिना कोई भी धर्म जीवित रूप से खड़ा नहीं रह सकता है। इन सूत्रों को किसी धर्म के सहारे की जरूरत नहीं है, लेकिन इन सूत्रों के सहारे के बिना धर्म एक क्षण भी अस्तित्व में नहीं रह सकता है। योग विश्वासों पर आधारित नहीं है अपितु जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात जो मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योगियों का चीजों को देखने का नजरिया अलग ही होता है। हम अंदर की ओर देखते हैं। जब आप अपने भीतर की तरफ देखते हैं तो एक अलग ही आयाम खुलता है। तब चीजें जटिल होने की बजाय सरल होती जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य प्रकृति का ही एक अंग है। जब विज्ञान जनित वस्तुएं मनुष्य को इससे विमुख करने में लगी हैं तो योग ही सफलता का माध्यम है, मार्ग है जिसे अपना कर मनुष्य फिर प्रकृति के साथ जुड़ सकता है। योग हमारे जीवन में बोधितत्व का मार्ग प्रशस्त करता है। योग जीवन का आधार है। इसलिए इसके महत्व को समझकर इसे जीवन में उतारने का प्रयास जरूर करें। योग हमें वसुधैव कुटुम्बकम के भावना से प्रेरित कर हमें विश्वकल्याण के लिए समर्पित होने का सन्देश देता है।
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संवाद365/मोहित पोखरियाल