आज देश भर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य छह महीने के लिए उत्तरायन हो जाता है। इस दिन से हेमंत ऋतु से शिशिर ऋतु का आरंभ होता है। उत्तरायन होने के साथ ही सूर्य का तेज अत्याधिक बढ़ जाता है। सूर्य की किरणों की ऊष्मा बढ़ने से मौसम में बदलाव देखने को मिलता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के बाद शीत का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है। वहीं सूर्य और शनि की विशेष दशा के कारण संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर जो व्यक्ति पवित्र नदी में डुबकी लगाता है उसे मोक्ष की प्राप्त होती है। इस दिन जो लोग गरीब और जरुरतमंद लोगों को जरुरत का सामान या अनाज दान करते हैं तो उन्हें पुण्य मिलता है। इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है। इसी दिन से सभी शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी समाप्त हो जाता है।
बता दें, उत्तर प्रदेश में इस पर्व पर खिचड़ी सेवन और खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व बताया जाता है। वहीं इस महोत्सव को पतंग महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाते हैं। हालांकि पतंग उड़ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य वजह बताई जाती है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है।
आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। कुछ अन्य कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था।
इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे−पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। साथ ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन तर्पण किया था। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में हर साल मेला लगता है। फिलहाल देशभर में ये त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। संवाद365 की तरफ से आप सभी को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
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संवाद365/काजल