25,000 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके मोहम्मद शरीफ चाचा को मिला पद्मश्री सम्मान

November 9, 2021 | samvaad365

अयोध्या जनपद के प्रसिद्ध लावारिश लाशों के मसीहा कहे जाने वाले समाजसेवी मोहम्मद शरीफ चाचा को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किए गए। इसकी खबर जैसे पता चली तो उनके परिजनों में खुशी छा गई। तो वहीं इस खुशी का इजहार करने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उनके घर पर पहुंच रहे हैं। और जल्द ही इस सम्मान के साथ मोहम्मद शरीफ अयोध्या पहुंचेंगे। जनपद अयोध्या के खिड़की अलीबेग क्षेत्र में रहने वाले मोहम्मद शरीफ का संयुक्त परिवार है जिसमे 20 लोग है। उनकी पत्नी बिब्बी खातून और इनके पुत्र मोहम्मद अशरफ मकैनिक व मोहम्मद सगीर ड्राइवर का कार्य करता है। मोहम्मद शरीफ अपने परिवार से खुद से लेकिन उनके परिवाार के बीच हुई एक घटना से दुखी रहते हैं। दरअसल उनके छोटे बेटे मोहम्मद रईस का 28 वर्ष की अवस्था मे निधन हो गया। जिसके बाद वे लावारिश लाशों को ही अपना पुत्र मानकर अंतिम संस्कार करने लगे । आज 25,000 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। जिसके कारण पूरे देश में चर्चा मे रहे और सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित करने का भी निर्णय लिया था।

 

वही मोहम्मद शरीफ के पुत्र मोहम्मद सगीर ने कहा की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है आज पूरा परिवार बहुत ही खुश है आज हमारे वालिद को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह हमारे लिए गर्व की बात हैम और भारत सरकार का जितना भी धन्यवाद किया जाए कम है। आज सरकार ने हमारे पिता को इस लायक समझा और हमारे पिताजी एकता की एक मिसाल हैं। 30 जनवरी 2020 को पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित होने के लिए उन्हें पत्र मिला 20 मार्च को दिल्ली जाना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण नहीं मिल सका है। वहीं उनकी तबियत भी खराब हो गई थी। जिसके चलते उनका पूरा परिवार परेशान है। उन्होंने बताया कि जब से उनकी तबियत खराब है वह घर पर ही आराम कर रहे हैं। पैर में तकलीफ होने के कारण वह चलने में असमर्थ है, जिसके कारण उनका घर पर ही इलाज चल रहा है। तबियत खराब होने के बाद उनका हालचाल लेने के लिये लोग उनके घर भी पहुंचते रहते थे। आज उनके सम्मानित होने के बाद आसपास के क्षेत्र के लोगों में खुशी है और लोग उनके घर पर पहुंच गए परिजनों को बधाई दे रहे हैं।

संवाद365,मो. आलम 

 

 

 

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