नवरात्रि स्पेशलः जानिए रूद्रप्रयाग के प्रसिद्ध कालीमठ मंदिर के बारे में

October 6, 2019 | samvaad365

रूद्रप्रयाग: शरादीय नवरात्र का पर्व है और ऐसे में सभी भक्त माता के दर पर पहुंच रहे हैं. मां शक्ति के 108 स्वरुपों में से एक प्रसिद्ध  शक्तिपीठ कालीमठ रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है. देवासुर संग्राम से जुडी यहां की एतिहासिक घटना में माता पार्वती ने रक्तबीज दानव के वध को लेकर कालीशिला में अपना प्राकटय रुप दिया था. और कालीमठ   में इस दानव का वध कर जमीन के अन्दर समा गई थी. हिमालय में स्थित होने के कारण इस पीठ को गिरिराज पीठ के नाम से भी जाना जाता है.

तन्त्र साधना का यह सर्वोपरि स्थान माना जाता है. यहां पर मूर्ति पूजा का विधान नहीं है और ना ही यहां देवी की कोई मूर्ति है, साथ ही यहां पर ना ही कुछ ऐसे पद चिहन हैं कि जिन्हें निमित मानकार पूजा की जा सके. मंदिर के गर्भ गृह में स्थित कुण्डी की ही यहां पूजा की जाती है और बलिप्रथा के रुप में प्रसिद्व इस धाम में अब बलि भी बन्द हो चुकी है और नारियल से ही माता की पूजा की जाती है.

रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राष्टीय राजमार्ग पर गुप्तकाशी से पूर्व कालीमठ-कविल्ठा मोटर मार्ग पर करीब 10 किमी की दूरी पर यह शक्ति पीठ है, केदारखण्ड, स्कन्द पुराण, देवी भागवत समेत कई पुराणों में कालीमठ का वर्णन मिलता है. मां काली मां सरस्वती व मां लक्ष्मी की यहां पर पूजा होती है.

पुराणों में वर्णित है कि गिरिराज पीठ आलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण है और यह धाम तन्त्र साधना के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है. यही कारण है कि यहां मूर्ति पूजा न होकर तन्त्र साधना होती है और देश विदेशों से यहां पर साधना के लिए जनमानस पहुंचता है. नवरात्र के दौरान अष्टमी की रात्रि को इस कुण्डी को खोला जाता है.

अर्धरात्रि में बंद आखों से इस कुण्डी की सफाई होती है और इसे कोई भी खुली आंखों से नहीं देख सकता है. यही नहीं यहां पर प्रतीक स्वरुप रात्रि में ही रक्तबीज दानव का वध भी किया जाता है मशालों को रक्तबीज शिला पर फेंका जाता है और सुबह शिला पर रक्त के थक्के साफ दिखाई देते हैं. यहां पहले पशुबलि बडे पैमाने पर होती थी और सैकडों की संख्या में बकरियों व भैसों को काटा जाता था बाद में स्थानीय गबर सिंह राणा ने इस प्रथा का विरोध किया और यहां बलि प्रथा को बन्द करवाया.

नवरात्रों के दौरान शक्ति पीठों में श्रद्वालु बडी संख्या में पहुंच रहे हैं रुद्रप्रयाग में कालीमठ के साथ ही कालीशिला, हरियाली देवी, मठियाणा खाल व कोटिमाहेश्वरी प्रमुख पीठ हैं. जहां पर कि भगवती के विभिन्न स्वरुपों की पूजा होती है आप भी इन पीठों के दर्शन करना चाहते हैं तो चले आइये रुद्रप्रयाग और मां के दर्शन कर पुण्य को अर्जित करें.

(संवाद 365/कुलदीप राणा )

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