महिलाओं के लिए मिसाल हैं श्यामा… सौ से ज्यादा महिलाओं को दे चुकी हैं रोजगार… पढ़ें श्यामा की कहानी…

September 2, 2019 | samvaad365

देहरादून: अक्सर हम कहते हैं कि उसकी जिंदगी में सबकुछ है, वो लोग कितने खुश है। लेकिन क्या कभी हम ये देखते हैं कि वो इंसान कितने लोगों के चेहरे की मुस्कान बन रहा है जो खुद कभी दो जून की रोटी के लिए भी मोहताज थे। हर किसी की जिंदगी में एक वक्त ऐसा आता है जब उसे संघर्षों के आगे या तो झुकना पड़ता है या फिर उन संघर्षों का मजबूती से मुकाबला करना होता है। जी हां एक ऐसी ही महिला है जिसने लाख कठिनाईयों के बाद भी हार नहीं मानी हर हालात का डटकर सामना किया। हम बात कर रहे हैं देहरादून के विकासनगर ब्लॉक के ग्राम फतेहपुर में रहने वाली श्यामा चौहान की। जिनकी जिंदगी की हकीकत हर किसी के लिए प्रेरणा है। आज श्यामा ने न सिर्फ खुद के लिए सारी सुख-सुविधाएं पूरी की हैं बल्कि उन्होंने 100 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दिया है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर श्यामा की नई जिंदगी का सफर कहां से शुरू हुआ।

दरअसल, श्यामा के पास कभी संपन्न परिवार था, घर-मकान था और पति त्रिलोक सिंह की भी ऑटो स्पेयर पार्ट्स की दुकान थी। लेकिन सबकुछ अचानक बदल गया। एक दिन एक परिचित ने ही धोखाधड़ी से उनका मकान बिकवा दिया। जिसके बाद घर में मुसीबतों का दौर शुरू हो गया। उनके पति का कारोबार तक ठप पड़ गया। वहीं उस समय के समाज में महिलाओं का घर से बाहर निकलना कुछ करना बहुत मुश्किल था लेकिन श्यामा ने घर से बाहर कदम निकाले और संघर्ष करने का फैसला लिया। श्यामा ने साल 2012 मार्च में महिला जागृति स्वयं सहायता समूह का गठन किया था, लेकिन परिवार पर आई विपत्ति ने दो महीने बाद उसे खत्म कर दिया था।

जिसके बाद श्यामा ब्लॉक मुख्यालय विकासनगर गईं, जहां अधिकारियों ने उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के बारे में जानकारी दी और उनके खत्म हो चुके समूह को नए सिरे से शुरू करने की सलाह दी। बस फिर क्या था श्यामा ने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से जूट बैग और फाइल फोल्डर बनाने का प्रशिक्षण लिया। फिर स्वयं सहायता समूह में छह महिलाओं को जोड़कर इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया।  इसके लिए उन्होंने 25 हजार रुपये का लोन भी लिया। धीरे-धीरे महिलाएं समूह से जुड़ने लगीं और कारवां बढ़ता गया। आज यह समूह जूट बैग, फाइल फोल्डर, नो प्लास्टिक बैग, टेक होम राशन आदि से 15 लाख रुपये महीने का कारोबार कर रहा है। जिसके तहत अब ये समूह फतेहपुर, जस्सोवाला, ढकरानी, शेरपुर, भुड्डी आदि गांवों की 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार देने में सक्षम हो चुका है। समूह से जुड़ी इन महिलाओं को हर महीने पांच हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक की आय मिलती है। बहरहाल संवाद365 श्यामा चौहान के इस हौसले को सलाम करते है।

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संवाद365/काजल

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