हरिद्वार: शिक्षा विभाग में संसाधनों की कमी और अधिकारियों की लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है। हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय नंबर 5 के एक कमरे की छत बारिश के दौरान भरभरा कर गिर पड़ी। गनीमत ये रही कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय भवन में कोई मौजूद नहीं था। नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था। इस प्राथमिक विद्यालय में डेढ़ सौ छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। विभाग के आला अधिकारी संसाधनों की कमी का रोना रो रहे हैं।
मलबे में तब्दील हो चुकी यह इमारत कभी शिक्षा का मंदिर हुआ करती थी। लेकिन करीब 15 सालों से यह बिल्डिंग जर्जर अवस्था में है। बुधवार सुबह बारिश के दौरान इमारत भरभरा कर गिर पड़ी। स्कूल के खुलने से पहले इमारत गिरने से कई नौनिहालों की जान बच गई और बड़ा हादसा होने से टल गया। ज्वालापुर क्षेत्र स्थित यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय किराए के भवन में चल रहा था। जिसमें छात्र या तो जर्जर भवन में मौत के साए में शिक्षा ले रहे थे या खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। स्कूल की इमारत जमींदोज होने के बाद आसपास के लोग और बच्चों के अभिभावक सहमे हुए हैं। अभिभावकों का कहना है स्कूल की हालत से कई बार अधिकारियों को बताया जा चुका है लेकिन इसकी कोई सुध नहीं ली गई। सरकार को स्कूल की हालत दुरुस्त करनी चाहिए। अधिकारियों की लापरवाही बच्चों की जान ले सकती है।
बड़ा हादसा टलने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी हमेशा की तरह संसाधनों की कमी का रोना रो रहे हैं। उनका कहना है कि शासन और नगर पालिका को भी कई बार मामले से अवगत करवाया गया लेकिन अभी तक व्यवस्था नहीं बन पाई है।बेसिक शिक्षा अधिकारी की सफाई है कि इस भवन को सिर्फ भोजन बनाने और स्टोर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। हालाकी वे बड़ी बेबाकी से कह रहे हैं कि विद्यालय के सभी बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं।
सरकारी शिक्षा में संसाधनों की कमी किसी से छुपी नहीं है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही जब बच्चों की जान पर भारी पड़ जाए तो सरकार की संवेदनशीलता पर सवालिया निशान लगना लाजमी है।
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संवाद365/नरेश तोमर