सरकार निधि से रजस्वला केंद्र बनाने पर जिला प्रशासन से जवाब तलब

April 29, 2019 | samvaad365

चंपावत ब्लॉक के घुरचुम ग्राम पंचायत स्थित कोटा गांव में सरकार निधि से बनाए गए रजस्वला केंद्र मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जवाब मांगा है। आयोग ने जिला प्रशासन से सरकारी तौर पर इस केंद्र के निर्माण के साथ ही कई बिंदुओं पर जवाब तलब किया है। वहीं जिला प्रशासन ने मामले में अपना पक्ष आयोग को भेज दिया है।

बता दें कि इलाके में घुरचुम समेत कई गांवों में माहवारी के दौरान महिलाओं को अलग रखने की परंपरा है। ग्रामसभा की बैठक में सर्वसम्मति से रजस्वला केंद्र के भवन का निर्माण करवाया गया था। भवन को बनाने के लिए चौदहवें वित्त के 1.99 लाख रुपये का उपयोग किया गया था। वहीं मामले में ग्राम प्रधान मुकेश जोशी का कहना है कि लोगों की मांग के चलते इस केंद्र का निर्माण करवाना पड़ा।

हालांकि ग्रामीणों की दलीलों पर गौर करें तो उनका कहना था कि भवन निर्माण से पहले महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान गौशालाओं जैसे स्थानों पर रहने को मजबूर होना पड़ता था। इन दिनों में महिलाओं को जरूरी सुविधाएं मुहैय्या करवाने और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लक्ष्य से भवन का निर्माण किया गया था।

भवन में चारपाई, बिस्तर और शौचालय के साथ ही जल की भी व्यवस्था की गई थी। अब आयोग की ओर से जिला प्रशासन को पत्र भेजकर पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। हालांकि मानवाधिकार आयोग को जिला प्रशासन की ओर से जवाब भेज दिया गया है।

वहीं चम्पावत के अपर जिलाधिकारी टीएस मार्तोलिया ने बताया कि मामले के संज्ञान में आने के बाद इस साल जनवरी में रजस्वला केंद्र का नाम परिवर्तित कर महिला मिलन केंद्र कर दिया गया है। अब इसका उपयोग महिलाओं की बैठक और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किया जा रहा है।
गौरतलब है कि घुरचुम ग्राम पंचायत में रजस्वला केंद्र भवन होने की बात 14 जनवरी को जिलाधिकारी रणवीर सिंह चौहान की जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान मिली। कार्यक्रम में एक ग्रामीण ने तीन साल पूर्व निर्मित इस केंद्र के भवन की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। जांच के बाद गुणवत्ता तो ठीक पाई गई लेकिन सरकार निधि से बने इस केंद्र पर ही सवाल उठ गए थे।

संवाद365 / पुष्पा पुण्डीर

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