अग्निपथ योजना के नाम पर युवाओं से मजाक कर रही है सरकार: जोत सिंह बिष्ट, प्रदेश संगठन समन्वय, आप

June 17, 2022 | samvaad365

आम आदमी पार्टी के प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना हमारे देश की शान है देश के युवा अपने देश की सेना में सेवा करते हुए अपने को पूर्ण रूप से देश सेवा के लिए समर्पित करने के लिए तत्पर रहते हैं, लेकिन भारतीय सेना में बीते 2 सालों से भर्ती प्रक्रिया पर रोक के कारण बताया जा रहा है कि लगभग 2 लाख पद रिक्त हैं।

सेना में भर्ती की पूर्व निर्धारित प्रक्रिया से इन पदों को भरने के बजाय भारत सरकार की कैबिनेट ने दो लाख रिक्त पदों में से मात्र 46 हज़ार पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया में बदलाव के साथ अब 4 साल की संविदा पर भर्ती करने का प्रस्ताव पारित किया है।

बिष्ट ने आगे कहा कि भारत सरकार का यह फैसला सेना के मनोबल को कमजोर करने के साथ-साथ सेना में भर्ती होने के लिए पिछले 2 सालों से दिन-रात तैयारी कर रहे नौजवानों के सपने पर कुठाराघात करने वाला है

उन्होंने आगे कहा कि देश में आजादी के 75 साल में ऐसा पहली बार दिखाई दे रहा है कि भारत सरकार ने 46 हज़ार पदों पर भर्ती निकाली और उसके खिलाफ देश के अनेकों शहरों में नौजवान सड़कों पर उतर आए हैं। हम सीमावर्ती राज्य हैं उत्तराखंड की सीमाएं चीन और नेपाल से मिली हुई हैं। हमारे नौजवानों में राष्ट्रभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा है इसलिए उत्तराखंड के वीर जवान सेना में भर्ती को अपनी प्राथमिकता में रखते हैं लेकिन भारत सरकार के इस फैसले से राज्य का नौजवान हतप्रभ है।

इस प्रक्रिया से सेना में भर्ती होने वाले नौजवान अधिकतम 24 से 25 साल की उम्र में फिर बेरोजगार हो जाएगा। उसके सामने फिर से रोजगार की तलाश का पहाड़ खड़ा होगा। ऐसे में वह ना तो सैनिक रह पाएगा ना ही रोजगारी, लेकिन सेना में 4 साल प्रशिक्षण पाने के बाद बाहर होकर सड़कों पर रोजगार की तलाश में भटकता नौजवान किस रास्ते पर जाएगा यह सोचने का विषय है। भारत सरकार के इस फैसले के खिलाफ सेना के वरिष्ठ एवं पदों पर रहे सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ,पूर्व आईजी बीएन शर्मा ,लेफ्टिनेंट जनरल एस एस सूरी ,रक्षा विशेषज्ञ पीके सिंघल आदि अनेक जानकार लोगों ने भारत सरकार के फैसले को सेना के मापदंडों के विपरीत ठहराया है।

मोदी सरकार को चाहिए कि फैसले को लागू करने से पहले देश के रक्षा विशेषज्ञों की राय लेने के बाद इस पर पुनर्विचार किया जाए। देश के नौजवानों को आधा अधूरा सैनिक बनाने के बजाय उन्हें पूर्णकालिक सैनिक बनने का मौका दिया जाए। रक्षा बजट में की गई 63 हज़ार करोड़ की कटौती को समाप्त कर के सेना के बजट में एक लाख करोड़ की बढ़ोतरी कर के देश की सीमाओं की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाए।

(संवाद 365, संदीप रावत)

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