तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने की कोशिशें जारी हैं। जिन लोगों के ‘अपने’ सुरंग के भीतर फंसे हैं, वो भूख-प्यास भूलकर पथराई आंखों से अपनों की आस में बैठे हैं.
इन लोगों के अलावा कोई और भी हैं, जिनहें अपने मालिकों के वापस लौटने का इंतजार है। हम बात कर रहे हैं आपदा के बाद से ही टनल के बाहर खड़े दो बेजुबान कुत्तों की. जिन्हें पूरा देश अब जानने लगा है.
कुत्तों की वफादारी और प्यार का एक जीती-जागती मिसाल हैं टनल के बाहर बैठे ये दोनों कुत्ते. दोनों पिछले कई दिनों से अपने मालिकों का इंतजार कर रहे हैं. तपोवन प्रोजेक्ट में काम करने वाले लोगों का दोनों से बेहद लगाव हो गया था. ये लोग काम के दौरान उनहें खाने के लिए देते थे. आपदा के समय ये कुत्ते यहां मौजूद नहीं थे, लेकिन जब लौटे तो वहां का नजारा खौफनाक हो चुका था. आपदा में सुरक्षित बचे सुरंग में कारने वाले एक शक्स ने बताया की जब वो सुरंग में काम करते थे तो कुत्ते उनके साथ ही रहते थे.
अपने मालिक की तलाश में एक ने तो आपदा के बाद से कुछ खाया तक नहीं है. देखिए खुद को खाना देने वालों के लिए दोनों अब आस लगाए हुए बैठे हैं. दोनों को इंतजार है कब उनके मालिक वापस आएं औऱ वो उनहें देख सकें उनका प्यार फिर से पा सकें.
दोनों आपदा के बाद लौटे तो पहले तो लोगों ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन कई बार भगाने के बावजूद दोनों बार-बार वापस आ जाते. और अब सुरंग के बाहर से जाने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं. और सब की तरह ही अपनों की आस में दिन रात पल्कें लगाए बैठें है सुंरग के बाहर.
जिन लोगों के अपने अभी भी सुरंग में फंसे हैं उन सभी के दर्द को किसी जानवर के रुकने से जोड़ना शायद ठीक ना हो पर दोनों बेजुबान कुत्तों की वफादारी एक मिसाल जरूर पेश कर रही है.
बेजुबान जानवरों को ना जाने कुछ समझ आ रहा होगा या नहीं पर शायद इतना पता है की कुछ बुरा हुआ है और उनके चाहने वाले उनहें दिख नहीं रहे है औऱ किसी तकलीफ में हैं.
(संवाद 365/डेस्क)
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