बरसों से सडक का इंतजार कर रहे गाँवों में जब सड़क कटती है तो वो आखिर कैसे ग्रमीण आन्चलों तक पहुंचते-पहुंचते राजनीतिक रुप ले लेती है. कैसे राजनीतिक दबाव में विभागीय अधिकारी और ठेकेदार मिलकर सड़क को ना केवल बदरंग बना लेते है बल्कि ग्रामीणों की जान को भी खतरे में डाल देते हैं.
संवाद 365 चमोली के विकासखण्ड नागनाथ पोखरी के तोणजी गांव पहुंचा. जहां ग्रामींण राज्य गठन के 20 वर्षों से सड़क का इतजार कर कर रहे थे. सड़क के इन्तजार में पथरायी आखों में तब उम्मीद की किरण जगी. जब 23 अप्रेल 2017 को तोणजी गाँव के लिये करीब 9 किमी मोटरमार्ग के लिए 3 करोड़ 99 लाख की स्वीकृति हुई और सड़क निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया. लेकिन ग्रामीणों को क्या पता था की सड़क के गांव तक पहुंचते-पहुंचते राजनीतिक दाव पेंचो में सड़क की सूरत बदलने के साथ-साथ ये ग्रामीणों के लिये जी का जंजाल भी बन जायेगी.
दरअसल जिस सड़क का विधायक महेंद्र भट्ट ने उद्घाटन कर हरी झण्डी दिखाई थी, 3 सौ मीटर सड़क कटने के बाद सडक का एलाइमेंट बदलकर पुन: दुसरे स्थान से सड़क निर्माण आरम्भ कर दिया गया.
अब जोरासी तोणजी मोटरमार्ग को PMGSY विभाग पोखरी द्वारा समरेखण बदल कर किमोठा गदेरे से सड़क का निर्माण किया गया है. जो अत्याधिक भूधंसाव वाली जगह है, जिसका नतीजा यह रहा की सड़क के शुरुआत में ही विभाग के पुस्ते और स्कपर ढह गये. जबकि कई नये भूस्खलन जोन भी तैयार हो गई हैं.
प्रथम चरण में 9 किमी सड़क कटिंग के साथ-साथ पुस्ते और स्कपरो का निर्माण करना था. लेकिन 3 वर्षों में 7 किमी ही निर्माण ही हो पाया। जबकि जो निर्माण हुआ है उसमें भी ग्रामीणों की परिसंपत्तियों और पैमाने पर खेती को नुकसान हुआ है. बरसात के समय सड़क का पूरा मलबा और पानी ग्रामीणों के आवासीय भवनों तक जा पहुंचता है जिससे ग्रामीणों की जिंदगी के साथ-साथ उनका अस्तित्व भी खतरे में आ गए हैं। लेकिन कमाल देखिये प्रथम चरण का अभी कार्य पूरा भी नहीं हुआ और जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा ठेकेदार को 2 करोड़ 42 लाख भुकतानकर दिया गया है.
सूत्रों की मानें तो इस सड़क के निर्माण में राजनीतिक दखल भी इसके आड़े आया है. मोटर मार्ग पूर्व में कांग्रेस सरकार में स्वीकृत हुआ था लेकिन इस पर धन राशि और निर्माण कार्य बीजेपी सरकार में आरंभ हुआ. ऐसे में क्षेत्र के वर्तमान और पूर्व विधायक मोटर मार्ग का श्रेय लेने के एवज में ना केवल इस मोटर मार्ग को अधर में लटका रखा है. बल्कि इस मोटर मार्ग का संरेखण बदल कर इसे जानलेवा भी बना दिया गया है. हालांकि पीएमजीएसवाई विभाग पोखरी के अधिशासी अभियंता का कहना है अभी जहां से मोटर मार्ग को काटा गया है उसकी स्वीकृति तो उनके पास है. लेकिन शुरुआत में जिस जगह से इस मोटर मार्ग को काटा गया था वो एक जांच का विषय है. मतलब साफ है की लापरवाही और राजनीतिक खींचतान जो भी हो इसी वजह से मोटर मार्ग का आज ये हाल है.
सड़क के अभाव में तोणजी के ग्रामीण आज भी 8 से 9 किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर हैं जबकि बीमार गर्भवती महिलाओं और स्कूली छात्र छात्राओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. गांव में सड़क तो आई है लेकिन सड़क की दुर्दशा है उस पर गाड़ियां तो दूर पैदल चलना भी दूभर है. 20 वर्षों से सड़क का इंतजार कर रहे ग्रामीण आस इस राजनीतिक खींचतान के चलते खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
(संवाद 365/कुलदीप राणा आजाद)
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