10 साल पहले दिल्ली में उत्तराखंड की बेटी के साथ हुई हैवानियत के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे देश में निराशा और रोष का भाव है. जिस बेरहमी औऱ दरिंदगी के साथ दरिंदों ने किरन नेगी से कुकर्म कर उसे मौत के घाट उतार दिया था उसे सुनकर हर किसी की रूह कांप गई थी. लेकिन शायद सुप्रीम कोर्ट में बैठे जज इतने सहिश्णू हो चुके हैं की उन्होंने ऐसे कुकर्मी जानवरों को बाइजज्त बरी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट का फैसला इतना दु:खद और निराशा जनक है की इससे ना सिर्फ किरन के लिए इंसाफ की उम्मीद को झटका लगा है बल्की करोड़ महिलाओं के अदालतों से न्याय औऱ सुरक्षा के भरोसे को भी कमजोर कर दिया है.
देहरादून में कांग्रेस ने किरन नेगी के इंसाफ के लिए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लकर कैंडल मार्च निकाला. जिसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदिया और कई कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे.
बता दें की 10 साल पहले 9 फरवरी 2012 को दिल्ली के नजफगढ़ के छांवला में उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली 19 साल की किरन को राहुल, रवि, और विनोद नाम के तीन आरोपियों ने अगवा करने के बाद बेरहमी से दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी थी. आरोपियों ने हरियाणा ले जाकर तीन दिन तक उसका रेप किया गया। फिर एक सरसों के खेत में उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया. जब किरन का शव मिला तो पता चला की उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया था। उसके नाजुक अंगों से शराब की बोतल मिली थी। पाना गरम करके उसके शरीर को दाग दिया गया था. आज 10 साल होने के बाद भी किरन को इंसाफ तो दूर की बात है. बल्की कोर्ट से आरोपियों की रिहाई कर उसके साथ एक भद्दा मजाक किया है.
(संवाद 365, डेस्क)
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