देहरादून: अगर आपमें हुनर हो तो लाख रुकावटों के बाद भी वो अपना रास्ता खुद बना लेता है। एक ऐसा ही युवक इस बात का उदाहरण बना, जिसकी लगन तो संगीत की दुनिया में कुछ कर दिखाना था लेकिन जब चयन इंजिनियरिंग में हुआ तो रास्ता कठिन सा हो गया, लेकिन दिल और दिमाग की जंग में जीत हमेशा दिल की ही होती है। ये कोई फिल्मी लाईन नहीं बल्कि हकीकत है पिथौरागढ़ के रहने वाले सूरज वर्मा की। दरअसल, बोरागांव में रहने वाले सूरज वर्मा ने सात साल पहले इंजिनियरिंग में चयन होने के बावजूद भी पढ़ाई से किनारा कर लिया था, और इसकी वजह थी संगीत के प्रति उनका बेहिसाब प्रेम। इसके बाद उन्होंने मुंबई जाकर एक साल तक संगीत की शिक्षा ली और एक रॉक बैंड शुरू किया।
26 साल के सूरज का संगीत भरा सफर वह इंटरमीडिएट से ही शुरू हो गया था। वह पढ़ाई के दिनों में स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते थे। उनकी पढ़ाई अल्मोड़ा बीरशिबा स्कूल से हुई है। वह साल 2012 में इंडियन आइडियल के टॉप 30 तक पहुंचे थे। वह संगीत के प्रति इतने समर्पित थे कि एआइ ट्रिपल ई परीक्षा पास करने के बावजूद वह मुंबई चले गए और अभिजीत घोषाल व उस्ताद उस्मान खां से संगीत सीखा। इसके बाद उन्होंने 2013 में इंडो फ्यूजन नाम से रॉक बैंड शुरू किया।
अब सूरज देशभर में लाइव शो करते हैं और एक प्रोग्राम करने के लिए वह एक से डेढ़ लाख रुपये तक चार्ज लेते हैं। वहीं सूरज को उनके पहले शो के लिए पांच हजार रुपए मिले थे, और अब सूरज देशभर में करीब 600 से ज्यादा शो कर चुके हैं। उनके इंडो फ्यूजन यू-ट्यूब चैनल पर प्रसारित सूरज के पहले ऑफिशियल वीडियो गीत को 21 लाख से अधिक व्यूअर मिल चुके हैं। सूरज के पिता त्रिलोक वर्मा डिफेंस में कार्यरत हैं। जबकि मां कमला देवी गृहिणी हैं। वर्तमान में परिवार हल्द्वानी में रहता है। बहरहाल सूरज के भविष्य के लिए संवाद365 उन्होंने ढेरों शुभकामनाएं देता है।
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संवाद365/काजल