सरकार के संकटमोचक प्रकाश पंत… फार्मसिस्ट से वित्त एक्सपर्ट बन गए थे….

June 6, 2019 | samvaad365

उत्तराखंड की राजनीति का बड़ा नाम… उत्तराखंड की सियासत का वो नेता जिसको ज्ञान के मामले में मात देना काफी मुश्किल था. मृदु भाषी सरल व्यवहार मुस्कराता चेहरा लेकिन आंकड़े कंठस्थ याद रखने वाले उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत अब इस दुनिया में नहीं रहे. प्रकाश पंत काफी समय से बीमार चल रहे थे. कुछ दिन पहले ही पंत दा अपने इलाज के लिए अमेरिका गए थे. अमेरिका में ही प्रकाश पंत ने अपनी आखिरी सांस ली. और वो नेता चला गया जिसकी पूर्ति उत्तराखंड की सियासत में लंबे समय तक नहीं हो पाएगी.

उत्तराखंड की सियासत के अजातशत्रु थे पंत दा

पक्ष हो या विपक्ष नेता अपनी पार्टी का हो या दूसरी पार्टी का पंत हमेशा दलगत राजनीति से उपर उठकर सभी के सहयोग के लिए तैयार रहते थे. और उनके साथी राजनेता भी प्रकाश पंत का सम्मान किया करते थे. महज 59 साल की आयु में उत्तराखंड की सियासत का ये अजातशत्रु गंभीर बीमारी के चंगुल में फंसकर सभी को छोड़कर चला गया.

उत्तराखंड में शोक की लहर है हर कोई प्रकाश पंत के जाने से सदमें में है. प्रदेश में तीन दिन का शोक घोषित किया गया सीएम से लेकर पीएम तक सभी ने पंत के निधन पर गहरा शोक जताया है..  नगर पालिका परिषद के सदस्य से सियासी पारी शुरू करने वाले पंत ने विधायक, स्पीकर और कैबिनेट मंत्री के तौर पर जो भी दायित्व मिला उसमें विशिष्ट छाप छोड़ी.

यह खबर भी पढ़ें-उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत का निधन

फार्मसिस्ट से वित्त एक्सपर्ट तक

प्रकाश पंत के बारे में अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि फार्मासिस्ट होने के बावजूद उन्होंने वित्त, संसदीय व विधायी कार्यों में महारथ हासिल की. वित्त विशेषज्ञ के तौर पर जीएसटी काउंसिल में उन्हें और उनके सुझावों को भरपूर तवज्जो दी गई.

यहां से हुई थी शुरूआत

पंत 1977 में छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव चुने गए। पेशे से फार्मासिस्ट पंत ने 1984 में सरकारी सेवा को त्याग कर समाजसेवा के लिए सियासत का रास्ता चुना। 1988 में नगर पालिका परिषद पिथौरागढ़ के सदस्य चुने जाने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1998 में वह विधान परिषद के सदस्य चुने गए और वहां भी अपने सवालों के जरिये छाप छोड़ी।  नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का जन्म हुआ तो उन्हें अंतरिम विधानसभा के स्पीकर की जिम्मेदारी सौंपी गई। प्रकाश पंत अपना का व्यवहार उनकी कुशलता कितनी ये आप खुद सोच सकते हैं कि जब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पंत के निधन पर प्रतिक्रिया दे रहे थे तो वो भावुक हो उठे..

यह खबर भी पढ़ें-आखिर क्या हुआ ऐसा कि केदारनाथ में तैनात एसडीएम को देना पड़ा इस्तीफा

जब सरकार फंसती थी तब बचाते थे पंत

2007 में भाजपा की सरकार में पंत संसदीय कार्य, विधायी, पेयजल, जैसे मंत्रालयों के मंत्री बने. जब कभी सरकार किसी विषय पर कहीं भी उलझी तो उसे निकालने में वह संकटमोचक बनकर उभरे। प्रदेश हित को उन्होंने सर्वोपरि रखा और इसके लिए सदन और सदन के बाहर संघर्ष किया। भाजपा की वर्ष 2007 में बगैर बहुमत के सत्ता में वापसी के दौरान राजनीतिक अनिश्चितता के दौर रहा हो या वर्ष 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के दौरान मुख्यमंत्री पद के लिए भी उनका नाम उछला.. लेकिन पंत ने खुद को पद के विवाद से भी दूर रखा। पंत 2008 में उत्कृष्ट विधायक भी चुने गए.

राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज थे पंत 

निशाने बाजी हो या क्रिकेट हो पंत खेल को भी काफी पसंद किया करते थे.  प्रकाश पंत राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज भी थे. पंत ने कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर मेडल प्राप्त किए हैं. वास्तव में सरकार को हर मोर्चे पर खड़ा करने वाले और हर मुश्किल में जवाब देने वाले प्रकाश जैसा नेता और सादगी सरलता की मिसाल उत्तराखंड की सियासत में कभी हो पाए. संवाद 365 स्व. प्रकाश पंत को श्रद्धाजंलि अर्पित करता है …

संवाद 365/ काजल
यह खबर भी पढ़ें-विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सीएम रावत ने किया पौधरोपण

38157

You may also like