पिथौरागढ़ का हाट कालिंका मंदिर, कुमाऊं रेजीमेंट की आराध्य देवी है हाट कालिंका

October 23, 2020 | samvaad365

पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित हाट कालिंका मंदिर की घंटियों से लेकर यहां की धर्मशालाओं में किसी न किसी आर्मी अफसर का नाम आपको देखने को मिल जाएगा। क्योंकि यहां की देवी को कुमाऊं रेजीमेंट अराध्य देवी के रूप में पूजती है। साल भर इस मंदिर में भक्तों का अनाजाना लगा रहता है। मंदिर में सेना के जवानों के द्वरा चढ़ाई गई घंटियों की रेजीमेंट से जुड़ाव के बारे में एक दिलचस्प कहानी है। द्वितीय विश्वयुद्ध में सेना का जहाज डूबने लगा कहा जाता है कि जैसे ही कुमाऊं के सैनिकों ने हाट काली का जयकारा लगाया वैसे ही जहाज किनारे पर आ गया। तभी से कुमाउं रेजीमेंट हाट कालिंका को अराध्य देवी के रूप में मानते हैं। साथ ही हाट कालिंका का जयकारा भी लगाते हैं।

हाट कालिका मंदिर की स्थापना आदि गुरू शंकराचार्य ने किया था। बताया जाता है कि जगतगुरु जब मंदिर के 20 मीटर पास में पहुंचे तो वह जड़वत हो गए। लाख चाहने के बाद भी उनके कदम आगे नहीं बढ़ पाए। शंकराचार्य को देवी शक्ति का आभास हो गया। कुमाऊं रेजीमेंट ने पाकिस्तान के साथ छिड़ी 1971 की लड़ाई के बाद सूबेदार शेर सिंह के नेतृत्व में महाकाली की मूर्ति की स्थापना की। कालिका के मंदिर में शक्ति पूजा का विधान है। सेना द्वारा स्थापित यह मूर्ति मंदिर की पहली मूर्ति थी। इसके बाद 1994 में कुमाऊं रेजीमेंट ने ही मंदिर में महाकाली की बड़ी मूर्ति चढ़ाई है।

हाटकालिका के भक्त आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। पिछले सात माह से कोरोना के चलते ये मंदिर भी बंद था। लेकिन नवरात्रियों पर मंदिर खुलने से एक बार फिर से यहां भक्तों का आना जाना शुरू हो गया है।

(संवाद 365/प्रदीप महारा )

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