अगर आप कहीं से गुजर रहे हो और आप को सुंदर सुंदर फूलों की खेती मिल जाए तो जरूर आपका मन भी खुश हो जाएगा ..दरसअल रामनगर के कमोला गांव के किसान बलवीर सिंह कांबोज पारंपरिक खेती छोड़ फूलों की खेती कर तरक्की की नई इबारत लिख रहे हैं। उनके बगीया में कई प्रजातियों के फूल उगे हैं। ये फूल न सिर्फ गांव की शोभा बढ़ा रहे हैं, बल्कि बलवीर सिंह की आय का जरिया भी बन रहे हैं। और फूलों की ये खेती उनकी जिंदगी महका रही है। बलवीर सिंह कांबोज बताते हैं कि उन्होंने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से एमएससी एग्रीकल्चर किया है। उनका फूलों की ओर काफी रुझान था। पंतनगर से लौटने के बाद उन्होंने फूलों की खेती करने की ठानी। बलवीर सिंह कांबोज को फूलों की खेती करता देख, अन्य किसान भी इस ओर दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उनके इस काम में उनके पिता भी बखूबी सहयोग करते हैं। पिता किशन सिंह कांबोज कहते हैं कि उनका बेटा बलवीर सिंह जब पंतनगर विश्वविद्यालय से पढ़ाई करके वापस आया तो उस समय उसके पास विदेशों से भी नौकरी के लिए प्रस्ताव आए। लेकिन उसका मन अपने देश और गांव में रहकर ही कुछ करने का था।इसलिए बलवीर ने उसने राय ली। जिसके तहत उन्होंने फूलों की खेती को चुना और खेती शुरू की उनके फूलों की खेती को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक पहुंचते हैं। बाजार में फूलों की डिमांड हमेशा बनी रहने से इसकी खेती कर बलवीर सिंह अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं ,बलवीर सिंह कई एकड़ भूमि में फूलों की कई प्रजातियां की खेती कर रहे हैं। जिसकी खूशबू से पूरा कमोला गांव महक रहा है।आसपास के ग्रामीण बलवीर सिंह की मेहनत के कायल हैं और उनसे प्रेरणा ले रहे हैं।
संवाद 365 , अमित बेलवाल