नवरात्रि स्पेशल : जानें भाई बहनों के लिए प्रसिद्ध संतला देवी मंदिर की कहानी, जहां हर मुराद होती है पूरी

October 9, 2021 | samvaad365

माता संतला देवी का पौराणिक मंदिर देहरादून से 15 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच पहाड़ियो में संतौर नामक स्थान पर स्थित है । यह मंदिर देवली संतला उनके भाई संतूर को समर्पित हैं । पौराणिक कथाओं के अनुसार मां संतला देवी नेपाल राजघराने की राजकन्या थीं। वो शक्ति का प्रतीक थीं, जो कि मानव रूप में अवतरित हुई थीं। उस वक्त मुगलों का राज था। मुगल शासक ने मां संतला से विवाह का प्रस्ताव भेजा। तब मां संतला संतौर नामक जगह में पहुंची और वहां किला बनाकर रहने लगी। इस बात का पता चलने पर मुगलों ने किले पर हमला कर दिया।जब संतला देवी और उनके भाई को इस बात का अहसास हुआ कि वो मुगलों से लड़ने में सक्षम नहीं हैं तो संतला देवी ने हथियार फेंककर ईश्वर से उन्हें पत्थर में तब्दील करने की प्रार्थना की। अचानक एक प्रकाश चमका और वे पत्थर की मूर्ति में बदल गईं। बाद में किले के स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया।

यहां जाने के लिए आपको जैतूनवाला तक बस सेवा का लाभ उठाना होगा उसके बाद पंजाबीवाला से यात्रियों को मंदिर तक पहुंचने के लिये करीब दो किमी. पैदल चढ़ाई चढ़नी होती है। साभर यहां आपको भक्त माता संतला के दर्शन के लिए जरूर दिखेंगे । खासकर शनिवार और रविवार को यहां भीड़ देखने को मिलती है । नवरात्रि में भक्त यहां दूर दूर से माता रानी के दर्शन करने पहुंचते हैं । कहते हैं सच्चे मन से मन्नत मांगने पर यहां सभी मनोकामना पूरी होती है ।

संवाद365,रेनू उप्रेती 

 

 

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