टिहरी- चारधाम यात्रा का पुराना पैदल मार्ग अब पूरी तरह उपेक्षित है. जिस दौर में मोटर मार्ग नहीं होते थे तब यात्री यमुनोत्री, गंगोत्री, बूढाकेदार, पंवाली कांठा होते हुये त्रियुगी नारायण, गौरीकुंड और केदारनाथ तक पंहुचते थे. अब यह मार्ग पूरी तरह सुनसान है. लेकिन पैदल यात्रा करने के शौकीन लोग आज भी इस मार्ग से यात्रा करते हैं.
प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर यह इलाका पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकारों की नजर अभी यंहा नही पड़ी। पंवाली कांठा और माटया में बुग्याल के बड़े-बड़े मैदान हैं। पंवाली में कुछ स्थानीय पशुपालक और कुछ घुमंतु वन गूजर रहते हैं। घुत्तू मोटर मार्ग से पंवाली की पैदल दूरी 18 कीलोमीटर है, जबकि पंवाली से केदारनाथ की पैदल दूरि मात्र 40 कीलोमीटर है। घुत्तू- पंवाली- त्रियुगी नारायण मोटर मार्ग के निर्माण की मांग वर्षो से चली आ रही है, लेकिन यह मांग सर्वे तक ही सीमित रही. हांलाकि पैदल ट्रैकिंग के शौकीन लोग इस मार्ग पर ट्रैकिंग करते हैं, लेकिन कोरोनाकाल के चलते पिछले 2 सालों से यंहा आवाजाही ठप्प है.
लोग मांग करते हैं कि सरकार को इस इलाके में विकास को तरजीह देनी चाहिये, हांलाकि कुछ प्रकृति प्रेमी इस इलाके में मोटर मार्ग के निर्माण को उचित नहीं मानते। प्रकृति प्रमियों का मानना है कि विकास के नाम पर मानवीय हस्तक्षेप के कारण यंहा की प्राकृतिक सम्पदा को नुकसान पंहुचने की संभावना है.
(संवाद365,बलवंत रावत)