पिथौरागढ़: लोहाकोट गांव की 83 वर्ष की परुली देवी को 69 साल बाद मिलने जा रही है पेंशन की सौगात

April 8, 2021 | samvaad365

पिथौरागढ़ जिले के देवलथल तहसील क्षेत्र के  लोहाकोट गाँव निवासी 83 वर्ष की परुली देवी को 69 साल बाद पेंशन की सौगात मिलने जा रही है. परुली आमा के सैनिक पति गगन सिंह भारतीय सेना में तैनात थे, जिनकी 1952 में गोली लगने से मृत्यु हो गई थी. लेकिन बीते 69 साल तक उन्हें सेना की पेंशन नहीं मिल सकी. पिथौरागढ़ कोषागार के सेवानिवृत्त उप कोषाधिकारी डीएस भंडारी के प्रयास से अब परुली आमा की पेंशन स्वीकृत हो गई है. उन्हें अभी 22 सितंबर 1977 से देय 44 वर्ष की पेंशन का एरियर का भुगतान किया जा रहा है। जो कि लगभग 19-20 लाख तक रुपये मिलने का अनुमान है.

परुली देवी देवी का मायका पिथौरागढ़ ज़िला मुख्यालय के लिंठ्यूड़ा गाँव में है। वहां के स्व. रतन सिंह की पुत्री परुली देवी का विवाह 10 मार्च 1952 को देवलथल क्षेत्र के लोहाकोट निवासी सैनिक गगन सिंह के साथ हुआ था। शादी के दो महीने बाद 14 मई 1952 को ही राइफल की गोली चलने से गगन की मृत्यु हो गई. मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही परुली विधवा हो गईं थीं.

इस हादसे के बाद परुली लिंठ्यूड़ा स्थित अपने मायके में ही आकर रहने लगी। पति के भारतीय सेना में तैनात होने के बावजूद उन्हें पेंशन नहीं मिल पाई । जबकि वर्ष 1985 से लागू पारिवारिक पेंशन के लिए भी परुली अर्ह हो गईं थी लेकिन ससुराल और मायके पक्ष को इसकी जानकारी नहीं मिल सकी.

पिथौरागढ़ के सेवानिवृत्त उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी को जब इसका पता चला तो उन्होंने पेंशन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कराई। इस प्रक्रिया में कई बाधाएं आईं। आखिरकार 18 जनवरी 2021 को प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा पेंशन प्रयागराज से उनका पेंशन स्वीकृति आदेश (पीपीओ) स्वीकृत हुआ।  डीएस भंडारी ने बताया कि परुली की पेंशन 22 सितंबर 1977 से स्वीकृत हुई है.

इसलिए उन्हें 44 वर्ष की पेंशन का एरियर 19-20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है। पति के निधन के 69 साल बाद 83 वर्ष की उम्र में पेंशन लगने से परुली काफी खुश हैं. उन्होंने भंडारी का आभार जताया है. साथ ही परुली के भतीजे प्रवीण लूंठी ने भी सरकार और सेवानिवृत्त कोषाधिकारी का आभार जताया है.

(संवाद 365/मनोज चंद)

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