बागेश्वर के इकलौते जीवित स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान, आजादी की लड़ाई में थे शामिल

August 15, 2020 | samvaad365

बागेश्वर: देश 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी की लड़ाई में बागेश्वर जिले से 124 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, इनमें अब सिर्फ एक सेनानी ही बुढ़ापे की दहलीज पर हैं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह चौहान का जन्म 21 जून 1922 में बागेश्वर जिले के गरूड़ तहसील के वज्यूला, पासतोली गांव में हुआ था। वज्यूला के प्राईमरी स्कूल में वो कक्षा दो तक ही पढ़ पाए। उनके पिताजी हवलदार तारा सिंह चौहान गढ़वाल राइफल में तैनात थे, उन्नीस वर्ष की आयु में वो गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए। उनकी ट्रेनिंग अभी पूरी ही हुई थी कि इस बीच नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आहवान पर देशभक्ति के जज्बे से ओतप्रोत हो वो 15 फरवरी 1942 को अपने सांथियों के साथ नेताजी की सेना में शामिल हो गए।

राम सिंह चौहान वर्मा, मुलतान और कोलकाता जेलों में भी रहे। 26 मार्च 1946 में जेल से रिहा हुए। उन्होंने सजा से बचने के लिए अंग्रेजों से कोई माफी नहीं मांगी, आज भी वो अपनी आजादी की लड़ाई के किस्सों को सुनाते हैं। राम सिंह चौहान सौ वर्ष के करीब हैं। राम सिंह चौहान के चार बेटे और चार बेटियां हैं जिनमें से उनके तीन पुत्र अब नहीं रहे। एकलौता पुत्र स्वरोजगार से परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं। राम सिंह चौहान को 15 अगस्त 1972 में स्वतत्रता दिवस के 25वें वर्ष पर ताम्रपत्र देकर तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सम्मानित भी किया गया।

यह खबर भी पढ़ें-हल्द्वानी: 74वां स्वतंत्रता दिवस, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने किया ध्वजारोहण

संवाद365/हिमांशु गढ़िया

53140

You may also like