वरिष्ठ पत्रकार नंद किशोर नौटियाल अब नहीं रहे…

August 30, 2019 | samvaad365

वरिष्ठ पत्रकार और बद्रीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे नंद किशोर नौटियाल का निधन हो गया. नंद किशोर नौटियाल हिंदी भाषा आंदोलन के एक सक्रिय एक्टिविस्ट रहे हैं. नंद किशोर नौटियाल वरिष्ठ पत्रकार थे. अपने जीवन के करीब 60 साल उन्होंने पत्रकारिता को दिए.

नौटियाल ने पत्रकारिता के साथ.साथ सामाजिक दायित्व और राजनीतिक वैचारिकता को भी अच्छे से निभाया. नंदकिशोर नौटियाल का जन्म 15 जून 1931 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम ठाकुर प्रसाद नौटियाल था.

नौटियाल की शिक्षा-दीक्षा गांव में और दिल्ली में हुई. देश-दुनिया के प्रति जागरूक नौटियाल छात्र जीवन के दिनों में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे. दिल्ली की छात्र कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य के तौर पर उन्होंने 1946 में बंगलोर में हुए छात्र कांग्रेस के अखिल भारतीय अधिवेशन में भाग लिया. इसी साल नौसेना विद्रोह के समर्थन में जेल भरो आंदोलन में शिरकत की.

पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी शुरूआत 1948 से हुई. नवभारत साप्ताहिक मुंबई, दैनिक लोकमान्य मुंबई, और लोकमत नागपुर में उन्होंने काम किया. वो 1951 में दिल्ली प्रेस समूह की सरिता पत्रिका से जुड़े.  दिल्ली में मजदूर जनता, हिमालय टाइम्स, नयी कहानियां, और हिंदी टाइम्स के लिए कई साल कार्य किया. इस दौरान वो लगातार मजदूर आंदोलन से जुड़े रहे. 1954 से 1957 तक दिल्ली में सीपीडब्ल्यूडी वर्कर्स यूनियन के सचिव रहे और अनेक बार आंदोलन किये.

उत्तराखंड आंदोलन में भी रही भूमिका

नंदकिशोर नौटियाल की भूमिका पृथक हिमालयी राज्य तथा उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया तथा बाद में 1990-99 में भी उत्तराखंड आंदोलन से जुड़े. अनेक साप्ताहिक पत्रों और पत्रिकाओं के लिए काम करते हुए 1962 में उनके जीवन में बड़ा मोड़ तब आया जब मुंबई से साप्ताहिक हिंदी ब्लिट्ज़ निकालने के लिए उसके प्रथम संपादक मुनीश सक्सेना और प्रधान संपादक आर के करंजिया ने उन्हें चुना. 10 साल सहायक संपादक रहने के बाद 1973 में हिंद ब्लिट्ज़ के संपादक बने.

वह महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के स्थापनाकाल से ही सदस्य रहे. उनके कार्यकाल में पहली बार 2002 में पुणे में अकादमी ने भव्य अंतरराष्ट्रीय हिंदी संगम आयोजित किया.  तथा पहली बार 2008 में मुंबई, 2009 में नागपुर तथा नांदेड़ में सर्वभारतीय भाषा सम्मेलन संपन्न किया जिसमें 22 भाषाओं के विद्वानों ने भाग लिया.

वह उत्तराखंड सरकार में  श्री बदरीनाथ . केदारनाथ मंदिर समिति ट्रस्ट  के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके कार्यकाल में श्री बदरीनाथ मंदिर के 158 वर्ष के इतिहास में पहली बार गर्भगृह की दीवारों और कपाट तथा बदरीविशाल के सिंहासन को स्वर्णमंडित करवाया गया. इसी तरह श्री केदारनाथ में आद्य शंकराचार्य की समाधि का जीर्णोद्धार तथा उसी स्थल पर ध्यान.सभागृह निर्मित किया गया.

(संवाद 365/ काजल)

यह खबर भी पढ़ें-..जब ग्रामीण खुद ही जुट गए सड़क खोलने में

40919

You may also like