99 साल की खुद को मिटाने के लिए ब्रह्म शक्ति के साथ लोक में प्रकट हुई आदिशक्ति माँ चंडिका कल नौ महीने और नौ दिन के बन्याथ यज्ञ के साथ अपने सैकड़ों हजारों मैती मुल्कियो से विदा हो गई है। नौ महीने का लगाव को आज विदाई देनी है, वेदना, विरह और आँसूओं का सैलाब अंतस से निकली ध्वनियों से हृदय फट सा रहा था। देव मानव संबंधो की यह जीती जागती मिसाल पहाड़ के लोकोत्सवो में ही दिखतीर्थ है। कल महड चंडिका बन्याथ पर मैत भ्रमण पर आयी देवी स्वरूपा माँ चण्डिका को विदा किया जाना था। माँ की देवरा यात्रा के पथ प्रदर्शक “ब्रह्म शक्ति ” यानी बरमाठागरा को ले जाने वाले वाहक “एरवला” को उनसे विदा ले रहे थे लेकिन अब उनका लगाव चीत्कार कर रहा था, आस पास के लोग एरवलों को एक एक कर दूर ले जाते है, माँ का ब्रह्म भी उनसे दूर नहीं जाना चाहता इसलिए ब्रह्म से शक्ति का प्रवाह उमड़ता है,जैसे तैसे ये पल कटता है। हर कोई भावुक है, विरह वेदना से दुखी है। वही माता चंडिका के मंदिर में शिव जी भगवान के पश्वा का एक छोटी सी खिड़की से बाहर आना आज भी एक चमत्कार जैसा है।जिसमे अद्भुत शक्ति देखने को मिली।
संवाद 365, संदीप बर्तवाल