उत्तराखंड को युहीं देवभूमि नहीं कहा जाता यहां सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है देवभूमि का हर एक मंदिर अपने आप में एक पौराणिक इतिहास लिए हुए है।आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चमोली जिले में बदरीनाथ से करीब 21 किमी उत्तर-पश्चिम दुर्गम पहाड़ी में समुद्रतल से लगभग 1334 मीटर ऊंचाई पर स्थित ताल/झील की जिसके तीन कोण हैं।
मान्यता है कि इन तीनों कोणों में ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने तपस्या की थी। पांडव इसके पास स्थित स्वर्गरोहिणी शिखर से स्वर्ग गए थे। इस झील के पास सूर्यकुंड और चंद्रकुड नामक दो ताल स्थित हैं। अलकनंदा इसी ताल से निकली है।
इस ताल के उत्तरी भाग में भगीरथ सड़क हिमानी स्थित है। उत्तराखंड में स्थित सतोपंथ झील कई रहस्यों और किंवदंतियों से भरा पड़ा है। सतोपंथ झील, यहाँ के प्राकृतिक झीलों में से एक है। यह झील न सिर्फ धार्मिक लिहाज़ से बल्कि अपने अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य की वजह से भी विश्व के पर्यटन मानचित्र में दर्ज है। अक्सर प्राकृतिक झीलों का आकार गोल या चौकोर होता है लेकिन यह अद्वितीय झील त्रिभुजाकार या तिकोने आकार में है। पर्यटकों को तो यह अपनी ओर लुभाती ही है, विदेशी पर्यटकों को भी अपने तेज से अछूती नहीं रखती। पर्यटक यहाँ मिलने वाली अद्भुत शांति और इसकी सुंदरता के कायल हैं। कई विदेशी सैलानियों को तो यह झील इतना पसंद है कि पर्वतारोहण के लिए वे इस झील को उच्च प्राथमिकता देते हैं। चौखंबा शिखर की तलहटी पर बसा, यह उत्तराखंड के सुरम्य झीलों में से एक है।
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चमोली/संध्या सेमवाल