जमीन पर नहीं ‘दलदल’ पर बना है उत्तराखंड का यह मंदिर

February 11, 2023 | samvaad365

देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे कई मंदिर है जिनका अपने आप में बहुत महत्व है… एक ऐसा ही मंदिर चमोली और रुद्रप्रयाग की सीमा में स्थीत है.प्राकृतिक सुंदरता और आस्था का प्रतीक वासुकी नाग मंदिर पूरे उत्तराखंड में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो दलदल  पर बना है. हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. सावन के महीने में यहां सांपों के दर्शन होना आम बात है.

चमोली में मंडल घाटी के केदारनाथ वन्य जीव विहार में वासुकी नाग देवता का मंदिर है. यह मंदिर वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है. मंदिर के पुजारी ने बताया किदशोली ब्लॉक में वासुकी नाग देवता टंगसा और मंडल घाटी के 30 से अधिक गांवों के लोगों के आराध्य देवता माने जाते हैं और यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो दलदली भूमि पर बना है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

मंदिर का प्रचार प्रसार न होने और केदारनाथ वन प्रभाग के संरक्षित वन क्षेत्र में होने के चलते पौराणिक वासुकी नाग मंदिर वर्तमान में भी पर्यटन की तलाश में जुटा है. घने जंगलों के बीच झील के पास मौजूद वासुकी नाग मंदिर क्षेत्र के मंडल, खल्ला,कोटसीर, दोगड़ी, कांडाई, कुनकुली, देवलधार, अनुसूया सहित तमाम गांवों की आस्था का केंद्र है. यहीं घने जंगलों में जड़ी बूटियां, पक्षियों की आवाज से पूरा जंगल खुशनुमा लगता है, लेकिन मंदिर का ज्यादा प्रचार प्रसार न होने की वजह से यहां स्थानीय लोग ही मंदिर के दर्शन करने पहुंच पाते हैं.

स्थानीय निवासी भगत कन्याल, महानंद बिष्ट और संदीप तिवारी कहते हैं कि यह क्षेत्र जहां प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, वहीं मंदिर का पौराणिक महत्व भी है. वासुकी नाग मंदिर में कम दूरी की ट्रेकिंग के लिए भी बेहद खास स्थान है. यदि प्रशासन की ओर से इस स्थान का प्रसार प्रसार किया जाता है, तो इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी युवाओं को मिल सकते हैं. साथ ही वह कहते हैं कि यह शॉर्ट ट्रेकिंग के लिए भी स्वरोजगार का मॉडल बन सकता है.

संवाद 365,परी रमोला

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