पौड़ी बस हादसे से पूरे गांव में पसरा हुआ मातम, मृतकों के शव आज पहुँचेंगे घर

October 6, 2022 | samvaad365

पौड़ी के कांडा गांव से दुल्हन लेने गए लालढांग और आसपास के 16 बराती अब कभी वापस नहीं लौट पाएंगे। बराती दुल्हन तो नहीं ला सके, लेकिन सफेद कपड़ों में लिपटे उनके शव बृहस्पतिवार को सुबह तक गांव पहुंच जाएंगे। बस दुर्घटना के बाद गांव में कोहराम मचा है। हर तरफ चीख पुकार मची है। अपनों की मौत की खबर से परिवार बेसुध हैं। दूल्हा संदीप बुधवार को शाम पांच बजे बिना दुल्हन के गांव पहुंचा। संदीप हादसे से टूट गया है, लेकिन उसकी खामोशी नहीं टूट रही है। शादी वाले गांव में विजयदशमी की खुशियों की जगह मातम छाया है। गांव में अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। लालढांग मिश्रित आबादी का कस्बा है। यहां पर हिंदू, मुस्लिम और सिख सुख-दुख में एक-दूसरे के साथी हैं। खेतीबाड़ी से ही ग्रामीणों की आजीविका चलती है। शादी-ब्याह में सभी लोग शामिल होते हैं।

Pauri Accident
Pauri Accident

मंगलवार को दोपहर गांव के संदीप की पौड़ी के कांडा गांव के लिए बरात निकली। हर कोई दुल्हन लाने के लिए उत्सुक था। बरात में बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक भी गए थे। बस में 45 से अधिक बराती सवार थे। इनमें कई बच्चे भी थे। बरात की बस दुल्हन के घर पहुंचने से पहले सिमड़ी बैंड के पास चालक की लापरवाही से दुर्घटनाग्रस्त होकर खाई में समा गई। बस की कमानी का पट्टा टूटने से हादसा हुआ।

SDRF
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बस हादसे की मंगलवार शाम खबर मिलते ही गांव में मातम पसर गया। बुधवार को सुबह तक रेस्क्यू चला। बस में सवार हताहत बरातियों की सुबह तक सही जानकारी नहीं मिल सकी, जिससे गांव में पूरी रात लोग सो नहीं पाए। हर कोई अपनों की सलामती की दुआएं करता रहा। बुधवार को शाम आठ बजे एसएसपी पौड़ी यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि हादसे में 33 लोगों की मौत और 18 घायलों की पुष्टि की।

मृतकों में 16 बराती लालढांग, गाजीवाली और रसूलपुर के हैं, जबकि बाकी मंडावली और दूल्हे के रिश्तेदारी के हैं। लालढांग में मातम पसरा है। हर तरफ चीख पुकार है। ग्रामीण अपनों के शवों का इंतजार कर रहे हैं।

शवों के बृहस्पतिवार को सुबह तक गांव पहुंचने की उम्मीद हैं। शवों के पोस्टमार्टम हो चुके हैं। दूल्हा संदीप के घर और मृतकों के घर में ग्रामीणों और रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा है। दूल्हे के गांव पहुंचने पर मां और गांव की महिलाएं लिपटकर रोते-रोते बेसुध हो गईं।

संवाद 365, दिविज बहुगुणा

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