हिंदाव पट्टी में आयोजित की गई मां जगदी की जात देश के कोने कोने से पहुंचे लोग

January 13, 2019 | samvaad365

उत्तराखंड को देवभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां के कण कण में देवताओं का वास माना जाता है. उत्तराखंड में कई सिद्धपीठ और कई पौराणिक मान्यता वाले मंदिर हैं. इन्हीं पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से आज भी उत्तराखंड में मेले और त्यौहारों का आयोजन किया जाता है. पहाड़ों में कुछ ऐसे भी देवी देवता हैं जिनकी मान्यता सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी है और वहां से भी लोग यहां पर इनके दर्शन के लिए पहुचते हैं।

कुछ ऐसी ही चमत्कारिक और अलौकिक मान्यता है नौज्यूला गांव हिंदाव पट्टी की जगदी माता की. मां शक्ति का एक रूप नौज्यूला हिन्दाव की धरती में रम गया और यहां पर मां जगदी की पूजा अर्चना बड़ी ही आस्था के साथ की जाती है. साथ ही शिला सौड़ में हर साल मां जगदी की भव्य जात का आयोजन भी किया जाता है. इस साल भी यहां पर मां जगदी की भव्य जात का आयोजन किया गया. और इस आयोजन में उमड़ पड़ा श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब. मां जगदी की इस जात में इस साल भी देश के कोने कोने से लोग पहुंचे और नौज्युला पहुंचकर मां का आशीर्वाद लिया.

शिला सौड के पश्चिम में बिसोन पर्वत में विश्वनाथ का मन्दिर है  अतः वर्तमान में क्षेत्रीय लोग भगवान विश्वानथ  जगदी शिला की संयुक्त ड़ोली बनाकर समस्त उत्तराखण्ड में विश्वनाथ जगदी शिला यात्रा चलाते हैं मां जगदी के प्रति लोगों की आस्था का अनुमान हम इस बात से ही लगा सकते हैं कि यहां पर लोग कितनी दूर दूर से आते हैं और यहां पर अपनी मनोकामना मांगते हैं ये भी कहा जाता है कि यहां पर जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मान्नत जरूर पूरी होती है.

मां के आशीर्वाद से नौज्यूला इतना वैभवशाली है  कि लोग नौज्यूला हिन्दाव को मिनी विलायत के नाम से भी जानते हैं और इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मां जगदी की मान्यता यहां पर कितनी है और क्यों लोग यहां पर दूर दूर से आते हैं. इस आयोजन के अंतिम दिन भी लोगों ने मां जगदी का आशीर्वाद लिया और मां से अपनी मनोकामना मांगी. उत्तराखंड में आज भी होने वाले इस तरह के आयोजन इस बात की गवाही देते हैं कि क्यों इस भूमि को देवभूमि कहा जाता है. और क्यों लोग यहां के देवी देवताओं में अपनी आस्था रखते हैं.

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टिहरी/ पवन नैथानी

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