उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाने का बीजेपी ने फैसला किया है. संघ की पृष्ठभूमि और छात्र राजनीति से सियासी सफर शुरू करने वाले तीरथ सिंह रावत जमीनी नेता माने जाते हैं और अब उनके ऊपर अगले साल होने वाले उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंप दी है.
तीरथ सिंह रावत का गांव की पगडंडियों से शुरू हुआ उनका यह सफर धैर्य, सहनशीलता, कर्मठ कार्यकर्ता की उनकी छवि को और मजबूत बना गया. बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी से राजनीति शुरू करने वाले तीरथ का अभिभाजित उत्तर प्रदेश और उसके बाद उत्तराखंड की राजनीति में दखल रखते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पौड़ी-गढ़वाल सीट पर बीएस खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को करीब तीन लाख मतों से मात देकर सांसद बने थे, लेकिन बीजेपी ने अब उन्हें त्रिवेंद्र सिंह रावत के के विकल्प के रूप में राज्य की सत्ता की कमान सौंपी है.
तीरथ सिंह रावत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक भी रहे हैं। 1997 में जब यूपी विधान परिषद के चुनावों की घोषणा हुई तो खंडूरी ने रावत को MLC बनाने की पैरवी की। पार्टी के भीतर खूब विरोध हुआ मगर खंडूरी अड़े रहे। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक बैठक के दौरान खंडूरी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से कहा था कि ‘मैं भले ही हार जाऊं लेकिन तीरथ नहीं हारना चाहिए।’ खंडूरी उस समय लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार थे.
(संवाद 365/डेस्क)
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