काशीपुर के श्लोक ने संस्कृत में रैप गाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया

July 27, 2022 | samvaad365

आज दुनिया भर में लगभग 6900 भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। लेकिन इन भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा ही कहीं लुप्त हो चुकी है संस्कृत भाषा को आज के टाइम में पढ़ना और लिखना दोनों ही कठिन माना जाता है ऐसे में उसी भाषा को उभारने के प्रयास में काशीपुर के एक रेप सिंगर ने संस्कृत भाषा में रेप गाकर एक नया इतिहास कायम कर दिया ..

कहते हैं जिनके हौसले बुलंद हों, वे अपने परिश्रम से जीवन की ऊंचाईयों को छूकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं. कुछ ऐसा ही काशीपुर के होनहार युवक शगुन उर्फ श्लोक ने एक ऐसा रैप लिख दिया …जिस भाषा को पढ़ने और लिखने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं उसी संस्कृत भाषा में एक रैप सॉन्ग गा कर इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करा कर देश का गौरव बढ़ाया है, श्लोक भारद्वाज के पिता का 2012 में निधन होने के बाद स्कूली जिंदगी में ही अपने परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी कंधों पर आ गई थी पढ़ाई के साथ नौकरी और अपना सिंगर बनने का सपना पूरा करने के हौसले ने ना तो चेन से जीने दिया न सोने ,दिन में नौकरी और रात को अपने सपनो की उड़ान ने श्लोक भारद्वाज के नाम कई खिताब लिख दिए पहले भी श्लोक भारद्वाज द्वारा देश के अंदर पहला ऐसा रैप सॉन्ग गाया गया जिसमें हर शब्द की शुरुआत ‘बा ‘ शब्द से ही हुई जिसे गा कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड का खिताब अपने नाम कर लिया था , और अब भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के प्रयास ने फिर एक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड का खिताब श्लोक के नाम कर दिया।

सपने बड़े हैं इरादे मजबूत हैं पर मजबूरियां भी बहुत हैं कई बार घर की स्थिति ने हौसलों को तोड़ने की कोशिश की पर सपने न टूटने दिया न झुकने दिया , संस्कृत भाषा का रैप सुनो कर अब दोस्तो के साथ साथ मां बहने भी फर्क कर रही थी की श्लोक की मां का कहना है ,दिन रात मेहनत करता है पता नहीं कब सोता है कब जाता है..

जिन देवों का इतिहास ही संस्कृत में लिखा हो और उन्ही की नगरी में उन्ही की भाषा लुप्त होती जा रही हो तो इस से बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा ? जिस को लेकर देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में चिंता जताई थी तो कुछ गायक कलाकारों द्वारा संस्कृत भाषा को उभारने का प्रयास किया जा रहा है ऐसे में क्यों ना राज्य सरकार भी उन गायेको की और ध्यान दें कोई उन के योजना बनाकर संस्कृत भाषा को लुप्त होने से बचाएं और फिर से देवनागरी में संस्कृत भाषा का चलन लाए..

संवाद 365, अजहर मलिक

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