रिवर्स माइग्रेशन की मिसाल बने एक्टर हरीश काला… मुंबई से लौट आए अपने गांव

August 2, 2019 | samvaad365

श्रीनगर: श्रीनगर गढवाल से 10 किमी दूर हरे भरे पेड़ों के बीच क्यूंसू गांव में रह रहे ये बुजुर्ग हरीश काला है. जिन्होंने करीब 30 साल हिन्दी फिल्म इन्ड्रस्टी में काम किया हरीश काला 25 साल की उम्र में गांव छोड़कर मुम्बई चले गये थे. और कई सालों के संघर्ष के बाद उनके काम को तब सराहा गया जब 1989 में बाल दिवस से शुरू हुए अन्तराष्ट्रीय बाल फिल्म फेस्टेवल में लेखक शेखर जोशी की कहानी दाज्यू पर बनी दाज्यू फिल्म को फिल्म फेस्टवल की ओपनिंग फिल्म चयनित किया गया. जिस फिल्म को खुद बॉलीवुड के महानायक अभिताभ बच्चन समेत कई जानी मानी हस्तियों ने पसन्द किया.

हरीश काला ने मुम्बई में कई 80-90 के दशक में कई जाने माने बैनर में काम किया उन्होनें दाज्यू फिल्म समेत डी आर इसारा की औरत का इन्तकाम, एलवी प्रसाद की उधार का सिन्दूर, लखनऊ दूरदर्शन की पहली फीचर फिल्म मृत्र्युदण्ड समेत 35 से ज्यादा फिल्मों और कई धारावाहिकों एड फिल्मों में अभिनय किया.

मुम्बई में दौलत शौहरत कमाने के बाद हरीश काला ने अपनी जन्म भूमि से प्यार किया और यही प्यार उन्हें एक बार फिर मुम्बई से हजारों मील दूर उतराखंड ले आया. आज गांव भले ही खाली है क्यूंसू गांव में महज 5 लोग ही रहते हैं लेकिन आज वे अपने पुस्तैनी घर में अकेले अपना गुजर बसर कर रहे हैं.

काला का मानना है कि पहाड़ की स्वच्छ वायु सुन्दर पर्यावरण किसी भी कीमत पर बहार नहीं मिल सकता. जो लोग पहाड़ छोड़ चुके हैं उन्हें अपने गांव से पूरी तरह नही कटना चाहिए कम से कम साल में कुछ वक्त गांव में बिताना चाहिए. साथ ही वे सरकार को राय देते हैं कि पहाड़ में रोजगार के लिए फिल्म इन्ड्रस्टीं की स्थापना होनी चाहिए.

हरीश काला उन लोगों के लिए भी एक सबक बन चुके हैं जो पहाड़ छोड़कर चले गए लेकिन दोबारा वापस नहीं लौटे. अब ऐसे जरूरत है रिवर्स माइग्रेशन की जिससे पहाड़ भी जीवित रहे और पहाड़वासी भी.

(संवाद 365/कमल किशोर पिमोली)

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